
वन संरक्षण में अंतर्राष्ट्रीय विकास का योगदान-शिवानी जैन एडवोकेट
ऑल ह्यूमंस सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि वन पृथ्वी के एक-तिहाई भू-क्षेत्र को कवर करते हैं तथा विभिन्न पर्यावरणीय लाभ प्रदान करते हैं, जिसमें जल विज्ञान चक्र के संतुलन को बनाए रखने, जलवायु विनियमन में योगदान और जैव विविधता के संरक्षण में उनकी प्राथमिक भूमिका शामिल है।
पारिस्थितिक दृष्टिकोण के अलावा आर्थिक दृष्टिकोण से अध्ययन का भी यह निष्कर्ष निकालता है कि वन संसाधन देश के आर्थिक विकास में योगदान कर सकते हैं और इसलिये विभिन्न कृषि एवं वानिकी से संबंधित गतिविधियों के लिये वन आवरण को बनाए रखना आवश्यक है।
थिंक मानवाधिकार संगठन की एडवाइजरी बोर्ड मेंबर डॉ कंचन जैन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2012 में 21 मार्च को अंतरराष्ट्रीय वन दिवस घोषित किया।यह दिवस सभी प्रकार के वनों के महत्व के बारे में उत्सव मनाता है और जागरूकता बढ़ाता है। प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय वन दिवस पर, देशों को वनों और पेड़ों से जुड़ी गतिविधियों, जैसे वृक्षारोपण अभियान, को व्यवस्थित करने के लिए स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक डॉ एच सी विपिन कुमार जैन, संरक्षक आलोक मित्तल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, डॉ राजेंद्र कुमार जैन, डॉक्टर आरके शर्मा, निदेशक डॉक्टर नरेंद्र चौधरी, शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जैन, बीना एडवोकेट, मीरा एडवोकेट, सीमा गुप्ता आदि ने कहा कि हमारे जीवन के लगभग सभी पहलू किसी ना किसी रूप में वनों से जुड़े हैं।वनों एवं उनके संसाधनों का सतत प्रबंधन जलवायु परिवर्तन से निपटने और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित रखने का एकमात्र तरीका है।आज वन के जरिये लोगों को भारी तादाद में रोजगार, औषधि, खानपान, पर्यटन, पर्यावरण, मौसम, प्राकृतिक आपदाओं से राहत जैसे जन-जन लाभान्वित हो रहा है।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ