सामर्थ्यवान युवा राष्ट्र निर्माण की रीढ़ होता है : गिरीशचंद

कपिलवस्तु। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु में मंगलवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का वर्तमान परिप्रेक्ष्य, चुनौतियां एवं संभावनाएं विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। इसमें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं उत्तर प्रदेश शिक्षा परिषद के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने अपने व्याख्यान में कहा कि सामर्थ्यवान युवा राष्ट्र निर्माण की रीढ़ होता है। शिक्षा समाज में न केवल युवाओं के अंदर सामर्थ्य का विकास करती है, वरन उन्हें संस्कार संस्कारवान एवं चरित्रवान भी बनाती है। शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति और व्यक्ति की ओर से समाज में उन्नति और विकास का मार्ग प्रशस्त होता है। शिक्षा व्यक्ति के मस्तिष्क का परिमार्जन करती है और वास्तविक शिक्षा व्यक्ति के हृदय का भी परिमार्जन करती है। हृदय परिमार्जन से ही शिक्षा ज्ञान में परिवर्तित हो जाती है। राष्ट्र निर्माण एकाएक नहीं होता अपितु उसके पीछे एक अनवरत परिषद और राष्ट्र के प्रति समर्पित शिक्षा व्यवस्था होती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति इन्हीं उद्देश्यों को प्राप्त करने का माध्यम है। जब किसी देश का युवा शैक्षिक रूप से सामर्थ्यवान होता है तो बड़ी से बड़ी और कठिन से कठिन चुनौतियों का सामना करते हुए उसका समाधान का मार्ग ढूंढ लेता है।
कुलपति प्रोफेसर हरि बहादुर श्रीवास्तव ने इस अवसर पर कहा कि शिक्षा में विद्यार्थियों के अंदर की क्षमता को पहचानने की शक्ति होनी चाहिए। और युवाओं में उन मौलिक क्षमताओं को कार्य स्वरूप में प्रेषित करने का समर्थ राष्ट्रीय शिक्षा नीति में दोनों बातें स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती हैं। इस अवसर पर उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा की महत्ता और उपाध्यता सर्वाधिक है। शिक्षा जगत में प्राप्त और निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सर्व संपन्न शिक्षण संस्थानों की आवश्यकता होती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति विद्यार्थियों शिक्षकों में सर्वांगीण विकास के अनेक माध्यम को समाहित किया गया है।
व्याख्यान में प्रो. सौरव प्रो. दीपक बाबू, प्रो. सुनील कुमार श्रीवास्तव, सत्येंद्र दुबे, प्रो. नीता यादव, डॉ. सुनीता त्रिपाठी, डॉ. दीप्ति गिरी आदि मौजूद रहे।