
जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि वैलेंटाइन डे 14 फरवरी के दिन भारत सहित कई देशों में एक त्यौहार की जगह लेता जा रहा है और भारतवर्ष में पिछले कुछ सालों से वलेंटाइन डे मनाना जैसे एक परंपरा हो गई है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि, वैलेंटाइन डे जैसे त्योहार हमारे भारतवर्ष की संस्कृति का हिस्सा कभी नहीं थे और ना ही हो सकते हैं। यह त्यौहार सिर्फ हमारे देश की युवा शक्ति का विनाश करने और उनके चरित्र का पतन कर रहीं है।
इसी के विरोध के फल स्वरुप पिछले कुछ सालों से संत आसाराम जी बापू के नेतृत्व में उनके भारत सहित अन्य देशों में जो भी आश्रम है उनमें मातृ-पितृ पूजन दिवस का आयोजन बहुत ही सांस्कृतिक और पारंपरिक स्वरूप में किया जाता है।
इसी क्रम में संत श्री आसाराम जी बापू के लखनऊ स्थित आश्रम में 14 फरवरी को माता-पिता के पूजन के दिवस के रूप में बहुत ही भव्यता के साथ मनाया गया, इस आयोजन का शुभारंभ उत्तर प्रदेश के माननीय उपमुख्यमंत्री श्री बृजेश पाठक जी की धर्मपत्नी नम्रता पाठक जी के द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया और इस शुभ अवसर पर विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष और आरडीएसओ के निदेशक श्री नवीन शर्मा जी और अन्य सनातन प्रेमी लोग उपस्थित रहे। इस आयोजन में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए और बच्चों ने अपने माता-पिता का विधि विधान से पूजन किया, उनकी आरती उतारी। इस आयोजन का मुख्य लक्ष्य अपनी संस्कृति और माता-पिता के प्रति सम्मान का भाव बढ़ाना है।
छत्तीसगढ़ की सरकार माननीय मुख्यमंत्री विष्णु देव राय जी ने तो प्रत्येक 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे की जगह मातृ पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा तक कर दी है।