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शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष अभियान: भारत ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुंचाया आत्मविश्वास
“जहाँ स्वप्न की परिधि समाप्त होती है, वहीं से विज्ञान की यात्रा शुरू होती है — और भारत अब इस यात्रा में केवल दर्शक नहीं, सहभागी है।”
भारत के लिए 26 जून 2025 एक ऐतिहासिक दिन बन गया — भारतीय वायुसेना के परीक्षण पायलट शुभांशु शुक्ला ने जैसे ही इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के वायुमंडलीय द्वार से भीतर प्रवेश किया, भारत का विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान एक नए युग में प्रविष्ट हो गया। यह पहली बार है कि कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री ISS तक पहुँचा है — और वह भी NASA, ESA और ISRO के संयुक्त मिशन का हिस्सा बनकर।
# ड्रैगन ‘ग्रेस’: 28 घंटे की कक्षा यात्रा और ऐतिहासिक डॉकिंग
ग्रेस नामक नया ड्रैगन अंतरिक्ष यान, स्पेसएक्स की पांचवीं पीढ़ी का अंतरिक्षयान है, जिसने बुधवार को फ़्लोरिडा से प्रक्षेपण के 28 घंटे बाद ISS के Harmony module से सफलतापूर्वक संपर्क किया।
भारतीय समयानुसार दोपहर 4:01 बजे यह North Atlantic Ocean के ऊपर सॉफ्ट-कैप्चर स्थिति में पहुंचा। इसके बाद अगले दो घंटे में संचार, विद्युत और वायुदाब संतुलन की प्रक्रियाएँ पूरी की गईं।
NASA के अनुसार, डॉकिंग प्रक्रिया इतनी सटीक रही कि “वेपॉइंट-1” और “वेपॉइंट-2” पर रोका जाना अनावश्यक पाया गया — और Docking लगभग 30 मिनट पूर्व सम्पन्न हो गया।
# जब शुभांशु ने रखा पाँव शून्य गुरुत्वाकर्षण में
अंतरिक्षयान का द्वार जब शाम 5:53 बजे (IST) खोला गया, सबसे पहले प्रवेश किया अनुभवी अमेरिकी अंतरिक्षयात्री पेगी व्हिट्सन ने — जिनके लिए यह पांचवां अंतरिक्ष अभियान है। उनके पीछे-पीछे आये शुभांशु शुक्ला, यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) के स्लावोस उज़नान्स्की, और हंगरी के अंतरिक्ष वैज्ञानिक टिबोर कापू।
NASA ने इस क्षण को शब्दों में यूँ उकेरा:
“Ax4 मिशन दल – पेगी व्हिट्सन, शुभांशु शुक्ला, स्लावोस और कापू – पहली बार ड्रैगन से बाहर आकर अपने कक्षा गृह की ओर देखते हैं।”
# एक वैज्ञानिक उपलब्धि, एक राष्ट्रीय क्षण:
शुभांशु शुक्ला का यह अभियान भारत के लिए राकेश शर्मा के 1984 मिशन के बाद दूसरा मानवयुक्त मिशन है।
जहाँ राकेश शर्मा सोवियत संघ के सहयोग से अंतरिक्ष गए थे, वहीं शुभांशु का यह मिशन निजी (SpaceX), सार्वजनिक (NASA-ISRO) और बहुराष्ट्रीय (ESA) सहयोग की एक अनूठी मिसाल है।
* शुभांशु शुक्ला: भारतीय वायुसेना के टॉप टेस्ट पायलट, 2023 में ISRO के गगनयान प्रशिक्षण कार्यक्रम से जुड़े।
* स्लावोस: पोलैंड के दूसरे अंतरिक्षयात्री बने — पिछले 45 वर्षों से पोलैंड की ओर से कोई अंतरिक्ष में नहीं गया था।
* टिबोर कापू: 1978 के बाद हंगरी के पहले अंतरिक्ष यात्री।
# ISS पर सात देशों की वैज्ञानिक बिरादरी:
ISS अब सात देशों के वैज्ञानिकों से भरी हुई है:
* अमेरिका से निकोल अयर्स, ऐनी मैकक्लेन, जॉनी किम
* जापान से टाकुया ओनिशी
* रूस से किरिल पेस्कोव, सर्गेई रिजिकोव और अलेक्सी ज़ुब्रित्स्की
अब इस वैश्विक मंडली में भारत का नाम भी जुड़ चुका है — और यह जुड़ाव केवल एक वैज्ञानिक उपस्थिति नहीं, बल्कि वैश्विक सम्मान की मुहर है।
# यह सिर्फ एक उड़ान नहीं, एक उत्तर है,:
शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा केवल 400 किलोमीटर ऊपर की नहीं, बल्कि भारत की विज्ञान-नीति, आत्मविश्वास और अंतरराष्ट्रीय सहभागिता की यात्रा है।
यह उस भारत का संकेत है जो केवल परंपरा में नहीं जीता, बल्कि नवाचार और खोज में भी नेतृत्व कर सकता है।
यह यात्रा उस कल्पना का प्रतिरूप है —
जिसमें चंद्रयान की सतह हो, मंगल की कक्षा हो, या अब अंतरराष्ट्रीय कक्षीय प्रयोगशाला — हर जगह एक भारतीय की उपस्थिति हो।
शुभकामनाएँ शुभांशु — आप अंतरिक्ष में हैं, पर भारत का हृदय आपके साथ धड़क रहा है।