मानव शरीर — परमात्मा का मंदिर है: गुरु माँ ने दी आत्मिक चेतना की आवाज़
बटाला, 4 जुलाई (राकेश गिॅल): पूजनीय आनंद मूर्ति गुरु माँ द्वारा दिया गया आत्मिक संदेश मानव जीवन की असली पहचान और उसकी पवित्रता की ओर संकेत करता है। गुरु माँ ने कहा कि इंसान को वैष्णव प्रवृत्ति अपनानी चाहिए, जिसमें मांस, शराब, अंडा जैसी अशुद्ध चीज़ों का त्याग कर सात्विक जीवन शैली को अपनाया जाता है। यह सवाल केवल विचार करने के लिए नहीं, बल्कि जीवन की रक्षा और मार्गदर्शन के लिए है। गुरु माँ ने मानव शरीर को एक परम मंदिर मानते हुए, उसमें आत्मिक प्रकाश फैलाने की शिक्षा दी। उनके अनुसार, शरीर केवल एक भौतिक संरचना नहीं है, बल्कि ईश्वर की कला का अद्भुत उदाहरण है। इसकी पवित्रता बनाए रखना हमारी धार्मिक, आत्मिक और मानवीय ज़िम्मेदारी है। गुरु माँ की बातों ने सैकड़ों विद्यार्थियों और साधकों को अपने जीवन में सफाई, सात्विकता और पवित्रता की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। उनकी वाणी और शिक्षाएं आधुनिक समाज में भी आत्मिक प्रकाश का स्रोत बन रही हैं। वास्तव में, आनंद मूर्ति गुरु माँ की सोच मानव अस्तित्व को एक नई दिशा देती है — जहाँ शरीर केवल हड्डियों और मांस का ढांचा नहीं, बल्कि एक उजाले से भरा हुआ मंदिर है।