http://राजस्थान के 75 वें स्थापना दिवस पर विनोद स्वामी ने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के नरेंद्र भवन में जगाई राजस्थानी भाषा मान्यता की अलख। नोहर...जिला...हनुमानगढ़...राजस्थान। भोपाल के नरेंद्र भवन में शनिवार को मरु मंडल भोपाल ने शेरा वेल्फेयर सोसाइटी के तत्ववाधान में प्रवासी राजस्थान समाज के बीच 75 वां राजस्थान स्थापना दिवस धूमधाम से समारोह पूर्वक मनाया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जे एन कंसोटिया अपर मुख्य सचिव वन विभाग भोपाल थे। कार्यक्रम संयोजक रामनिवास भांभू ने जानकारी देते हुए बताया कि कार्यक्रम का हमारा मूल उद्देश्य राजस्थानी भाषा,वेशभूषा, पहनावें, परम्पराओं और व्यंजनों को बचाना और बढावा देना है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रवासी राजस्थानियों की ओर से 75वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह में राजस्थानी वेशभूषा में कालबेलियां, घूमर, कांगसियों, केसरिया बालम, चिरमी,म्हारो तो रखवाळो म्हारो तेजाजी महाराज आदि लोक गीतों पर एकल नृत्य, सामूहिक नृत्य किया गया। कार्यक्रम में राजस्थानी वेशभूषा में फैशन शो आयोजित हुआ जो राजस्थानी पहनावे को बढावा देने के लिए अपने आप में एक अद्भुत नवाचार था अन्य गायन व नृत्य कार्यक्रमों में बच्चों व महिलाओं ने भाग लिया। समारोह की शुरुआत गणेश वंदना के साथ हुई। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राजेश अग्रवाल महाप्रबन्धक (भेल) , मुरली चौधरी (आर एस सी इन्फ्राटेक एण्ड डवलपर एल एल पी ) , प्रकाश चौहान (उप सहायक आयुक्त इनकम टैक्स ) हाकमदान चारण (अध्यक्ष योजना एवं वास्तुकला स्कूल ) मोतीसिंह (मोतीलाल भूजिया ) नरपतसिंह (एरिस्टेंट कामाडेंड एसएसबी ) वीणा जी (पूर्व आईएएस ) व कर्नल सुभाष पूनियां थे। मुकेश कपूर ने बाता कि करीब पांच घंटे चले इस कार्यक्रम में हजारों प्रवासी राजस्थानी लोगों ने परिवार सहित भाग लिया तथा उन्होंने अपनी संस्कृति, संस्कार, भाषा व रीति रिवाज को अपने घर आंगन में बचाने के लिए प्रतिबद्धता प्रकट की। इस अवसर पर राजस्थान परलीका से आए जनकवि विनोद स्वामी ने राजस्थानी भाषा की संवैधानिक मान्यता के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कविताएं सुनाई। समारोह में आए अतिथियों प्रतिभागियों को प्रदीप सिंह, महेश राजपुरोहित, देवीसिंह, इन्द्रपाल चाहर,परमेश्वर, कमलेश,जगदीश लेघा व महेन्द्र जाट ने शॉल व स्मृति चिहन प्रदान कर सम्मानित किया गया । इस अवसर पर सामूहिक प्रीतिभोज का आयोजन किया गया । मंच संचालन रामनारायण सिंह भवानी सिंह चारण ने किया। नोहर से.…मोहरसिंह की रिपोर्ट