
रतलाम ग्रामीण इस साल किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हुई गेहूं की खेती 5 से 10 कुंटल का हो रहा उत्पादन…
पूरे देश को अन्न उगाकर खिलाने वाला अन्नदाता किसान इस साल फिर संकट के साए में जीने को मजबूर हैं।
भारत देश के अधिकांश हिस्सों में गेहूं खाकर ही आमजन अपना जीवन यापन करते हैं और इस गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए इस साल किसानो ने विभिन्न प्रकार के गेहूं की फैसले बोई थी लेकिन रतलाम जिले जिले के जावरा विकासखंड के ज्यादातर तर क्षेत्रों में इस बार गेहूं का उत्पादन एक तिहाई से भी कम रह गया है औसतन हर साल गेहूं का उत्पादन 20 कुंटल से 22 कुंटल के आसपास माना जाता है
लेकिन इस वर्ष वहीं गेहूं का उत्पादन 5 से 10 कुंटल के बीच में सीमित रह गया है। जिसकी वजह से इस साल की फसल किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हुई
किसानों के अनुसार एक बीघा बुवाई में 30 किलो गेहूं लगता है जिसकी कीमत 1200 आती है वही 2000 प्रति बीघा दवाई और खाद का खर्च लगाना पड़ता है उसके बाद 5500 से 6 हजार रुपए में गेहूं की कटाई और थ्रेशर मशीन से निकलने का काम पूर्ण होता है कुल मिलाकर 8500 से 9000 के बीच में एक बीघा की गेहूं की खेती हो पाती हैं ऐसे में जिन किसानों के यहां 5 कुंटल गेहूं का उत्पादन हुआ है उनके लिए इस वर्ष ये खेती घाटे का सौदा साबित हुई है…..
क्योंकि 5 कुंटल गेहूं लगभग 11 से 12000 की आमदनी देकर जाता है ऐसे में हंकाई जुताई और किसान की मेहनत भी नहीं निकल पा रही हैं इस वर्ष अच्छी बारिश को देखते हुए किसानों ने पूना गेहूं लोकवन लोकवन क्रॉस सहित विभिन्न किस्में बोई थी
लेकिन अंत समय में कोहरा गिरने की वजह से पूरा उत्पादन प्रभावित हो चुका है जहां 20 कुंटल के मान से गेहूं की फसल निकलना थी वह उत्पादन गिरकर एक तिहाई पर अटक गया
ऐसे में इस वर्ष किसानों के लिए आर्थिक स्थिति का संकट खड़ा हो गया है
अब शासन को चाहिए कि या तो किसानों को बीमा राशि उपलब्ध कराई जाए या फिर गेहूं की कीमतों में वृद्धि की जाए ताकि किसानों का खर्च निकल सके।