उत्तर प्रदेशझांसी

सप्तम दिवस समापन पर सुदामा चरित्र की कथा का बड़ा ही मनमोहक वर्णन किया गया_अजय तिवारी

*सप्तम दिवस समापन पर सुदामा चरित्र की कथा का बड़ा ही मनमोहक वर्णन किया गया*

चौकरी बंगरा मैं हनुमान जी के मन्दिर के प्रांगड़ में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के समापन पर भागवताचार्य पंडित अजय तिवारी रसिक जी की अमृतमयी वाणी से सुदामा चरित्र कथा का बड़ा ही मनमोहक वर्णन किया गया जिसे सुन श्रोता भाव विभोर हो गए।कथा व्यास ने सुदामा चरित्र कथा का वर्णन करते हुए बताया कि मनुष्य को परम् सन्तोषी और शीलवान होना चाहिए, सदाचारी परिश्रमी होने पर भगवान की प्राप्ति स्वतः प्राप्त हो जाती है। पत्नी सुशीला के लाख कहने पर सुदामा अपने बचपन के परम् सखा श्रीकृष्ण के पास द्वारका जाने को तैयार हुये पर सुदामा के पास द्वा- रकाधीश को देने के लिए कुछ नही था तब सुशीला पड़ोस से चावल माँगकर लाई जिसे लेकर सुदामा चल दिये। रचले जात श्यामसुन्दर से मिलने सुदामा हरे कृष्णा रामार। सुदामा दरिद्र नही थे वह परम वैराग्यवान ब्रह्म का ज्ञान रखने बाले परम् सन्तोषी ब्राह्मण थे सुदामा के पास भगवान रूपी सबसे बड़ा धन था । सुदामा की दीन दशा को देख द्वारकाधीश के नयनो से झर झर अश्रु निकलने लगे, श्देख सुदामा की दीन दशा करुणा करके करुणानिधि रोय, पानी परात को हाथ छुओ नही नैनन जल सो पग घोयर । सुदामा चर्चा- रत्र कथा को सुन श्रोताओ के नयनो से अश्रु निकल पड़े । सुदामा के तीन मुठी चावलों को द्वारकाधीश ने बड़े ही भाव से ग्रहण कर तीन लोको का अधिपति बना दिया । सच्चा मित्र वही होता है जो परेशानी में अपने मित्र की बिना बताये मदद करे ।स्वार्थ की मित्रता नही करनी चाहिए । महिलाये चावलों की पोटली बांधकर लाई जो द्वारकाधीश के चरणों मे अर्पित की गई। परीक्षत कमलेश कुशवाहा के द्वारा श्रीमद्भागवत महा पुराण की मंगल आरती उतारी गई तदुपरांत प्रसाद वितरण किया गया।कन्या भोज भंडारा किया गया

इस मौके पर गाँव चौकरी के श्री बरुण शास्त्री, हरचरन कुशवाहा, कोमल कुशवाहा लेखपाल, वीरपाल सिंह, छत्रपाल सिंह, राजेंद्र सिंह, अंकू सिंह भदौरिया, शैलेंद्र सिंह भदौरिया, श्री जाहर सिंह, मानसिंह परिहार, मिजाजी खान,मान खां, विजय पटेल, रघुवीर साहू, सरजू पटेल,, अशोक कुशवाहा मोहनपुरा, छक्की अहिरवार, गोविंदास कुशवाहा, महेश सोनी, मोहन लाल प्रजापति, रामकुमार प्रजापति, पन्ना लाल नापित, सियाराम सैन, मनसुख, ग्यादीन कुशवाहा, भगवान् दास कुशवाहा, चतुर्भुज कुशवाहा, हरप्रसाद कुशवाहा, धनीराम कुशवाहा, मोहन कुशवाहा, विशुन पटेल, बाबूलाल पटेल, हरदास कुशवाहा, रामचरण रायकवार, राकेश श्रीवास, हरनारायन कुशवाहा,, मनोज कुशवाहा, रंजीत कुशवाहा, विनोद कुशवाहा, अंत में सभी का आभार जितेन्द्र सिंह कुशवाहा ने किया।

संवाददाता मुकेश कुशवाहा

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