
रिपोर्टर दिलीप कुमरावत MobNo 9179977597
मनावर। जिला धार।। बाबा रामदेव का मेला भाद्रपद शुक्ल द्वितीया से पूर्णिमा तक लगता है। जो कि आमतौर पर अगस्त-सितंबर के महीने में आता है। रामदेवरा (जैसलमेर, राजस्थान) के साथ देश में स्थित बाबा रामदेव के समस्त मंदिरों में हर साल आयोजित किया जाता है।इस वर्ष 25 अगस्त को बाबा रामदेव मंदिरों में भव्य प्रकट उत्सव मनाया जाएगा। मनावर के समीप ग्राम सिंघाना, टोंकी, कलवानी, जाजमखेड़ी, साततलाई में भी स्थित मंदिरो में भारी संख्या में श्रद्धालुजन पहुंचेंगे।
परंपरानुसार यह मेला भाद्रपद (हिन्दू कैलेंडर का छठा महीना) के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से पूर्णिमा तिथि तक चलता है। बड़ा मेला जैसलमेर जिले के रामदेवरा गांव में बाबा रामदेव की समाधि पर लगता है। हर साल लाखों श्रद्धालुजन इस मेले में बाबा रामदेव के दर्शन करने और अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए जाते हैं। कई भक्त सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर रामदेवरा पहुंचते हैं। और अपने साथ नेजा (एक विशेष ध्वज) लेकर जाते हैं। इस मेले को राजस्थान का महाकुंभ भी कहा जाता है। मनावर अंचल से भी भारी संख्या मैं श्रद्धालुजन रामदेवरा पहुंचेंगे।
रामदेवरा की महिमा: राजस्थान के जैसलमेर ज़िले में स्थित एक गाँव है जो पंचायत क्षेत्र में आता है। रामदेवरा रेलवे स्टेशन से बाबा रामदेव जी [समाधि] मंदिर की दुरी मात्र 700 मीटर है। रेलवे स्टेशन से पैदल मात्र 7 मिनट का रास्ता है। रेलवे स्टेशन के मैन गेट के सामने सीधा रास्ता पर है। रेलवे से सफर सुविधाजनक होकर सस्ता और सुगम है। पोखरण से लगभग 12 किमी उत्तर में स्थित है। गाँव का नाम पहले रूणिचा/रणुजा था। अब रामदेव जी के नाम पर रामदेवरा के नाम से विश्व विख्यात है।
बताया जाता हैं कि बाबा रामदेव ने सन् 1384 में समाधी ली थी। जो तंवर वंश राजपूत समाज में द्वारकाधीश भगवान के अवतारी थे। आज भी बाबा रामदेव वंशज तंवर राजपूत गांव के पास में ही ढ़ाणीयो में उतर में निवास करते हैं। बाबा रामदेव जी की समाधि के पास ही पर्चा बावड़ी व मंदिर के पीछे की तरफ रामसरोवर तालाब है। वर्तमान में मंदिर गादीपति राव भोंम सिंह जी तंवर है। मंदिर का संचालन देखरेख बाबा रामदेव सेवा समिति द्वारा किया जाता है। भादवा मेला में सारी सुविधाएं, खर्चा पंचायत समिति द्वारा किया जाता है। मंदिर में गोद ली हुई डालीबाई की समाधि भी है। यहां बारह महीने ही रेल,बस, कार से यात्री जत्था, संघ जय बाबा री के जयकारे लगाते हुए पहुंचते हैं। यात्रीऔ के ठहरने के लिए गेस्ट हाउस, धर्मशाला, होटल है। प्रतिवर्ष करोड़ों श्रद्धालू रामदेवरा पहुंचते हैं। भाद्रपद महीने में देश के कौने-कौने से प्रतिदिन लाखो श्रद्धालू बाबा के दर्शन करने के लिए मन्नत अनुसार पैदल आते हैं। कई श्रद्धालु बस और ट्रेन से भी पहुंचते हैं।
बाबा रामदेव की महिमा अपरम्पार…….
पौराणिक कथा अनुसार बाबा रामदेव महाराज द्वारा व्यापारी लाखा बंजारा बैल गाडिय़ों में मिश्री भरकर पोखरण की ओर जा रहा था। तभी रास्ते में उसकी भेंट घोड़े पर जा रहे भगवान रामदेव से हुई उन्होंने पूछा गाडिय़ों में क्या है तब लाखा ने कहा बाबा जी नमक भरा है तो रामदेव जी ने कहा जैसी तेरी भावना। यह कहते ही गाडिय़ों की सारी मिश्री नमक बन गई। तब लाखा बंजारे को अपने झूठ पर पश्चाताप हुआ उसने श्री रामदेव से माफी मांगी तब उन्होंने नमक को मिश्री बना दिया।
बोहिता राजसेठ की नाव को समुद्र के तूफान से निकालकर किनारे लगाया। स्वारकीया भगवान रामदेव का सखा था उसकी मृत्यु सर्प के डसने से हो गई तब श्री रामदेव जी ने उसका नाम पुकारा वह तुरंत ही उठकर बैठ गया।
दला सेठ निसंतान था साधू संतों की सेवा उसका नित्य काम था भगवान श्री रामदेव की कृपा से उसे पुत्र प्राप्त हुआ उसने रूढि़चा में अपने बच्चे के साथ पैदल यात्रा की। रास्ते में उसे लुटेरों ने मार दिया। सिर धड़ से अलग कर दिया। भगवान श्री रामदेव की कृपा से पुन: उसका सिर धड़ से जुड़ गया।
बताया जाता है कि भगवान रामदेव कलयुग के अवतारी हैं शेष शैय्या पर विराजमान महाशक्ति विष्णु का अवतार है। जिस प्रकार भगवान कृष्ण भगवान राम का अवतार हुआ था। उसी शक्ति ने कलयुग में अवतार भगवान रामदेव के रुप में लिया था। उन्होंने अंधों को आंखें दी कोढ़ियों का कोढ़ ठीक किया लंगड़ों को चलाया।