अन्य खबरे

सिलौड़ी ग्रामपंचायत से रहस्यमयी तरीके से गायब हुआ लाखों का अग्निशमन टेंकर, नौ माह बीतने के बावजूद एफआईआर और कार्रवाई न होना प्रशासनिक व्यवस्था पर बड़ा सवाल।

 

सिलौड़ी ग्रामपंचायत से रहस्यमयी तरीके से गायब हुआ लाखों का अग्निशमन टेंकर, नौ माह बीतने के बावजूद एफआईआर और कार्रवाई न होना प्रशासनिक व्यवस्था पर बड़ा सवाल।

 

Related Articles

सचिव को किया गया निलंबित, सरपंच को थमाया गया जवाब-तलब नोटिस, पर आज तक न जांच पूरी हुई, न दोषी चिह्नित — क्या प्रशासन की चुप्पी संगठित मिलीभगत की ओर संकेत है?

कटनी जिले के जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा अंतर्गत ग्रामपंचायत सिलौड़ी में वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव के पहले लाखों रुपये की लागत से उपलब्ध कराया गया अग्निशमन टेंकर बीते नौ महीनों से रहस्यमयी तरीके से गायब है। इस गंभीर चोरी को लेकर अब तक पुलिस में कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई है और न ही दोषियों की कोई कानूनी जवाबदेही तय हो सकी है। इस लापरवाही भरे घटनाक्रम ने न सिर्फ पंचायत और जनपद स्तर की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि पूरे जिला प्रशासन की गंभीरता और पारदर्शिता पर भी गहरे संदेह पैदा कर दिए हैं।

 

बताया जाता है कि यह अग्निशमन टेंकर तत्कालीन कांग्रेस विधायक विजयराघवेन्द्र सिंह के प्रयासों से ग्रामपंचायत को प्रदाय किया गया था, जिससे आपात स्थिति में, विशेष रूप से आगजनी की घटनाओं में त्वरित राहत दी जा सके। लेकिन जिस टेंकर से गांव की सुरक्षा सुनिश्चित होनी थी, वही टेंकर प्रशासनिक लापरवाही और संदिग्ध परिस्थियों के चलते पंचायत से गायब हो गया।

 

चौंकाने वाली बात यह है कि ग्रामपंचायत से इस स्तर की सार्वजनिक संपत्ति गायब हो जाने के बावजूद स्थानीय थाना या पुलिस चौकी में कोई प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज नहीं कराई गई। न ही ग्रामपंचायत, न जनपद पंचायत और न ही जिला प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया। केवल नवंबर 2024 में जनपद स्तर पर एक आंतरिक जांच की औपचारिकता निभाई गई, जिसमें तत्कालीन सचिव को निलंबित कर दिया गया और सरपंच को जवाब-तलब नोटिस थमा दिया गया।

 

लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यह कार्रवाई महज कागजी औपचारिकता थी, जिसका उद्देश्य केवल जनता के गुस्से को शांत करना था। वास्तविकता यह है कि इसके बाद से आज दिनांक तक इस प्रकरण में न तो दोषियों की पहचान हुई, न ही चोरी की कोई पुलिस रिपोर्ट दर्ज हुई, और न ही टेंकर का कोई अता-पता लग पाया है।

 

स्थानीय समाजसेवियों और जागरूक ग्रामीणों का मानना है कि जब करोड़ों की सरकारी योजनाएं ग्राम पंचायतों के माध्यम से क्रियान्वित होती हैं, तब इस प्रकार की घटनाएं यह साबित करती हैं कि भ्रष्टाचार और मिलीभगत के बिना ऐसी चुप्पी संभव नहीं है। यदि कोई आम व्यक्ति किसी सरकारी सामग्री को नुकसान पहुंचाए, तो उसके खिलाफ तुरंत कानूनी कार्रवाई होती है, लेकिन यहां पूरे गांव की सुरक्षा से जुड़ी संपत्ति गायब हो गई, और प्रशासन मौन है।

 

ग्रामीणों ने यह भी सवाल उठाया है कि जब पंचायत को टेंकर प्राप्त हुआ था, तो क्या उसकी विधिवत रसीदें, हैंडओवर रिपोर्ट, रखरखाव पंजी और दस्तावेजी अभिलेख तैयार किए गए थे? यदि हां, तो वे अब कहां हैं? और यदि नहीं, तो यह सीधे-सीधे प्रशासनिक लापरवाही और दस्तावेजी घोटाले की ओर इशारा करता है।

 

इस संदर्भ में जब मुख्य कार्यपालन अधिकारी यजुर्वेन्द्र कोरी से जानकारी ली गई, तो उन्होंने कहा कि “मामला पुलिस का है और पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर रही है। पुलिस का कहना है कि मुख्य कार्यपालन अधिकारी का लिखित पत्र लाओ तभी रिपोर्ट दर्ज की जाएगी।” वहीं दूसरी ओर, सीईओ ने यह भी कहा कि “मामला ग्रामपंचायत का है और एफआईआर दर्ज कराने की जिम्मेदारी पंचायत प्रतिनिधियों की बनती है।”

 

यह बयानबाजी यह स्पष्ट करती है कि प्रशासनिक स्तर पर एक-दूसरे पर जिम्मेदारी टालने का खेल जारी है, जिससे मामला सिर्फ फाइलों और बैठकों तक सीमित होकर रह गया है।

 

सवाल यह है कि आखिर एक लाखों की सरकारी संपत्ति चोरी हो जाने के बाद भी न तो पुलिस सक्रिय हुई, न जनपद प्रशासन, और न ही जिला प्रशासन। क्या यह सिर्फ लापरवाही है या इसके पीछे कोई बड़ा रैकेट सक्रिय है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी संसाधनों की बंदरबांट में लिप्त है?

 

ग्रामीणों ने इस घटना को लेकर जिला प्रशासन से कड़ी मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए। आवश्यकता पड़ने पर इसकी जांच आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) या लोकायुक्त जैसे स्वतंत्र और निष्पक्ष निकायों से करवाई जानी चाहिए, ताकि दोषियों की सुनियोजित साजिश का पर्दाफाश हो सके।

 

ग्रामीणों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि जिस टेंकर की आवश्यकता गांव में आपदा प्रबंधन, विशेष रूप से अग्निकांड की स्थिति में थी, उसकी अनुपस्थिति में यदि कोई घटना घटती है, तो जिम्मेदारी किसकी होगी? टेंकर की चोरी सिर्फ संपत्ति का नुकसान नहीं, बल्कि जन सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है।

 

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेकर वास्तविक कार्रवाई करेगा या फिर यह भी उन सैकड़ों फाइलों की तरह बंद दराजों में दफ्न हो जाएगा, जिनका अंत “विभागीय जांच जारी है” पर होता है कुछ नहीं है

 

Back to top button
error: Content is protected !!