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ओडिशा: कोटिया रथयात्रा ने रचा इतिहास, पहली बार उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब

उपमुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद और विधायक हुए शामिल

कोरापुट (ओडिशा): ओडिशा के सीमावर्ती गांव कोटिया में पहली बार ऐतिहासिक रथयात्रा का भव्य आयोजन कर एक नई परंपरा की शुरुआत की गई। हजारों की संख्या में भक्तों की उपस्थिति और राज्य सरकार के उच्चाधिकारियों की सक्रिय भागीदारी ने इस रथयात्रा को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर एक अनोखी पहचान दिलाई।

कोरापुट जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा 2002 में शुरू की गई इस परंपरा ने इस वर्ष इतिहास रच दिया, जब कोटिया ग्राम में पहली बार रथयात्रा का आयोजन हुआ। इस पावन अवसर पर ओडिशा के उपमुख्यमंत्री कनक वर्धन सिंहदेव, राजस्व मंत्री सुरेश पुजारी, शिक्षा मंत्री नित्यानंद गोंड, वाणिज्य एवं परिवहन मंत्री विभूति भूषण जेना, मत्स्य और पशुपालन मंत्री गोकुलानंद मलिक, कोरापुट सांसद सप्तगिरी उलाका, और कई विधायकगण शामिल हुए और भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने का सौभाग्य प्राप्त किया।

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राजस्व मंत्री सुरेश पुजारी ने कहा, “कोटिया केवल कोरापुट नहीं, पूरे ओडिशा की अस्मिता का प्रश्न है। राज्य सरकार सीमावर्ती इलाकों के सर्वांगीण विकास हेतु संकल्पबद्ध है।” उन्होंने बताया कि कोटिया में विकास के लिए ठोस खाका तैयार किया गया है, जिसमें बेघरों को आवास, आदर्श विद्यालयों में छात्रावास, बड़े जगन्नाथ मंदिर का निर्माण, और पर्यटन स्थलों का विकास जैसे प्रस्ताव शामिल हैं।

पूर्व जिलाधिकारी गदाधर परिडा ने कहा कि पूर्व की सरकारें कोटिया के मुद्दे को लेकर गंभीर नहीं थीं, लेकिन वर्तमान सरकार के प्रयासों से अब कोटिया ओडिशा में ही बना रहेगा, यह आशा की किरण नजर आ रही है।

इस ऐतिहासिक रथयात्रा में शामिल होने वालों में कोरापुट जिलाधिकारी वी. कीर्ति वासन, पुलिस अधीक्षक रोहित वर्मा, जिला परिषद के विकास अधिकारी वेणुधर शबर, अतिरिक्त जिलाधिकारी तपन नायक, उप जिलाधिकारी प्रेमलाल हिआल, पट्टांगी बीडीओ रामकृष्ण नायक, तहसीलदार देवेंद्र बहादुर सिंह, और जगन्नाथ मंदिर समिति के सचिव भवानी शंकर आचार्य प्रमुख रहे।

ओडिशा सरकार द्वारा सीमावर्ती इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सेवाओं के विकास का यह प्रयास न केवल धार्मिक आयोजन बल्कि सामाजिक एकजुटता और क्षेत्रीय विकास का उदाहरण बन गया है।

कोटिया रथयात्रा अब केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि ओडिशा की सांस्कृतिक और राजनीतिक दृढ़ता का प्रतीक बन गई है।

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