
बैतूल जिले के उभरते एथलीट प्रहलाद डाहाके को आर्थिक तंगी के चलते इस साल दो अहम नेशनल गेम्स में भाग लेने का अवसर गंवाना पड़ा। पहली प्रतियोगिता 21 अप्रैल को कोची, केरल में आयोजित की गई थी, और दूसरी 17 मई को तिरुवनंतपुरम में होने वाली थी। दोनों ही अवसरों पर प्रहलाद की प्रतिभा और मेहनत के बावजूद पर्याप्त वित्तीय सहयोग न मिल पाने के कारण वे शामिल नहीं हो सके।प्रहलाद के अनुसार, एक नेशनल गेम में भाग लेने के लिए कम से कम ₹20,000 से ₹25,000 की जरूरत होती है। इस साल वह सिर्फ ओपन दिल्ली स्टेट एथलेटिक चैंपियनशिप में भाग ले पाए, जहां उन्होंने सिल्वर मेडल जीतकर जिले और राज्य का नाम रोशन किया। इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए उन्हें क्षेत्रीय विधायक और समाज के कुछ लोगों का आर्थिक सहयोग मिला था।उन्होंने बताया कि अभी तक किसी भी कंपनी ने उन्हें स्पॉन्सर नहीं किया है, जबकि वे पहले भी दो बड़ी राष्ट्रीय चैंपियनशिप में पदक जीत चुके हैं। उनका कहना है कि अगर उन्हें वित्तीय सहायता समय पर मिलती, तो इन नेशनल गेम्स में मेडल लाने की पूरी संभावना थी।
प्रहलाद जैसे प्रतिभावान खिलाड़ियों के लिए यह स्थिति न केवल निराशाजनक है, बल्कि देश की खेल नीति और जमीनी हकीकत के बीच के अंतर को भी उजागर करती है। ऐसे युवा खिलाड़ियों को समय पर सहयोग मिले, तो वे देश का नाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी रोशन कर सकते हैं।