
लोकसभा चुनावों के तीसरे चरण की समाप्ति हो चुकी है, बिहार में तीसरे चरण में पांच लोकसभा क्षेत्रों में शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव सम्पन्न हुए।
तीसरे चरण में हुए चुनाव में खगड़िया लोकसभा क्षेत्र हाट सीट माना जा रहा था । खगड़िया लोकसभा में एनडीए की ओर से लोजपा रामविलास के खाते में गई सीट पर चिराग पासवान ने भागलपुर के पूर्व डिप्टी मेयर और हीरा व्यापारी राजेश वर्मा को टिकट दिया तो इंडिया गठबंधन की ओर से बिहार में सीपीएम के हिस्से आई एक मात्र सीट पर संजय कुमार कुशवाहा प्रत्याशी घोषित किए गए। तीसरे चरण की सबसे ज्यादा उथलपुथल वाली सीट रही खगड़िया लोकसभा कई उलट फेर का गवाह बना। यहां के निवर्तमान सांसद चौधरी महबूब अली कैसर लोजपा से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय प्रत्याशी की संभावना को दरकिनार कर राजद का दामन थाम लिया तो लोजपा से ही एक और दावेदार पूर्व सांसद रेणु कुमारी ने भी लोजपा से इस्तीफा दे दिया। वहीं इंडिया गठबंधन ने सामाजिक समीकरणों को साधते हुए कुशवाहा उम्मीदवार घोषित कर एनडीए खेमे में हलचल मचा दी। लोकसभा क्षेत्र में बाहरी और स्थानीय उम्मीदवार का मुद्दा चर्चा में रहा तो एनडीए प्रत्याशी पर चल रहे कई मुकदमे भी आवोहवा में तैरता रहा।
इस चुनाव को जहां इंडिया गठबंधन मजबूती से लड़ता हुआ नजर आया तो एनडीए गठबंधन में बिखराव नजर आया। एनडीए के लिए पहली मुसीबत लेकर जदयू के कद्दावर कुर्मी नेता अशोक सिंह ने जहां बगावत करते हुए इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी संजय कुमार कुशवाहा को अपना समर्थन दे दिया, तो दूसरा बड़ा झटका हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के बड़े नेता संजय यादव मिडिया सेल के प्रदेश अध्यक्ष सोनू अग्रवाल सहित कई नेताओं ने एकसाथ बगावत करते हुए एनडीए प्रत्याशी राजेश वर्मा को सहयोग करने से इन्कार कर दिया। वहीं दूसरी ओर इंडिया गठबंधन अपने सहयोगियों राजद, कांग्रेस, सीपीआई, माले और वीआईपी को एकजुट रखने में कामयाब तो रही ही इस चुनाव से प्रत्यक्ष रूप से दूर रही स्वराज इंडिया पार्टी का भी समर्थन हासिल कर लिया।
उपरोक्त घटनाक्रम का चुनाव परिणामों पर असर होता नजर आ रहा है। खगड़िया लोकसभा में इंडिया गठबंधन के पक्ष में राजद का माई समीकरण और वीआईपी का मल्लाह, सहनी वोट एक मुश्त संजय कुमार कुशवाहा को जाता दिख रहा है। अशोक सिंह के साथ आने से कुर्मी वोट दो भागों में बंटता दिखाई देता है। कुशवाहा वोटरों ने भी स्वजातीय प्रत्याशी के पक्ष में गोलबंद होते दिखाई दिए।एम एल सी राजीव सिंह के प्रत्यक्ष और उनके विधायक भाई डॉ संजीव की खामोशी से भूमिहार वोटरों से भी संजय कुमार को बड़ी संख्या में वोट मिले हैं।
हालांकि एनडीए प्रत्याशी राजेश वर्मा ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। वे पचपोनिया कहे जाने वाले कानू, हलवाई,तेली, चौरसिया, बनिया माड़वारी समुदाय का एकमुश्त वोट हासिल करने में सफल रहे हैं। पासवान नागर, मुसहर सहित दलित वर्ग ने राजेश वर्मा के पक्ष में मतदान किया है। स्वर्ण वोटरों को लुभाने में भी वे कामयाब दिखाई दे रहे हैं।
यूं तो दोनों प्रत्याशी ने चुनाव को जीतने में एड़ी चोटी एक कर दिया है, लेकिन जातीय आंकड़ों को अगर आधार मानकर चलें और चुनावी घटनाक्रमों पर एक नजर डालें तो इंडिया गठबंधन यह लोकसभा सीट अपने पक्ष में करती दिख रही है।