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राहुल मिश्रा की रिपोर्ट लखीमपुर खीरी
बाढ़ और छुट्टा पशुओं की समस्या को बसपा प्रत्याशी ने घोषणा पत्र में नही किया शामिल
लखीमपुर खीरी। इन दिनों चुनावी माहौल में सभी पार्टियों के उम्मीदवार जनसभा कर लोगों को चुनाव जीतने के बाद ‘जनपद को जन्नत’ बना देने जैसे लुभावने वायदे करते देखे जा रहे हैं, किंतु वास्तविकता तो यह है कि उन्हें जनपद की मूलभूत समस्याओं तक का पता ही नहीं है।
हाल ही में खीरी लोकसभा सीट से बसपा प्रत्याशी अंशय कालरा ने अपना घोषणा पत्र जनता के समक्ष पेश किया है। इस दौरान उन्होंने हर चुनाव में उठाए जाने वाले *पचपेड़ी घाट* पर पुल बनवाने का दावा किया है, शायद उन्हें या नहीं पता है कि पचपेड़ी घाट पर पुल निर्माण का प्रपोजल वर्ल्ड बैंक को भेजा गया था और वहां की टीम के सदस्यों ने कई बार यहां का सर्वे भी किया, कुछ करणोवश यह प्रपोजल फिलहाल के लिए टाल दिया गया। बड़े-बड़े चुनावी वादों के साथ मैदान में उतरे बसपा प्रत्याशी ने घोषणा पत्र में जनपद के किसानों की प्रमुख समस्या बाढ़ और निराश्रित पशुओं द्वारा किए जा रहे किसानों के नुकसान से निजात दिलाने का जिक्र तक अपने घोषणा पत्र में नही किया। कृषि प्रधान जनपद होने के बावजूद उनके घोषणा पत्र में किसानों संबंधी समस्याओं का मुद्दा न उठाने पर कृषकों का यह कहना है कि कालरा दिल्ली से आए हैं और चुनाव के बाद दिल्ली चले जाएंगे। उन्हें जनपद की मूलभूत समस्याओं का पता ही नहीं है।