
मूर्तियां धार्मिक भक्ति का एक अभिन्न अंग-शिवानी जैन एडवोकेट
ऑल ह्यूमंस सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मूर्तिकला दिवस प्रतिवर्ष 27अप्रैल के आखिरी शनिवार को मनाया जाता है। यह एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त अवकाश है जो मूर्तिकला और मूर्तिकला कार्यों की याद दिलाता है। मूर्तियां एक प्रकार की दृश्य कला है जो त्रि-आयामी होती है। यह साबित हो चुका है कि पत्थर की मूर्तियां खराब होने वाली सामग्रियों से बनी अन्य कला कृतियों की तुलना में काफी लंबे समय तक चलती हैं, और वे प्राचीन संस्कृतियों से लेकर आज तक सभी जीवित गैर-मिट्टी के बर्तनों की कला के विशाल हिस्से के लिए जिम्मेदार हैं। कई संस्कृतियों में मूर्तियां हमेशा धार्मिक भक्ति का एक प्रमुख घटक रही हैं।
थिंक मानवाधिकार संगठन एडवाइजरी बोर्ड मेंबर डॉ कंचन जैन ने कहा कि मूर्तियां हमेशा कई संस्कृतियों में धार्मिक भक्ति का एक अभिन्न अंग रही हैं और अभी तक मूर्तियों का उपयोग धार्मिक या राजनीतिक कार्यों के लिए किया जा रहा है।अंतर्राष्ट्रीय मूर्तिकला दिवस हमारी दुनिया में मूर्तिकला की भूमिका को मनाने और उसे उजागर करने का एक तरीका है।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक डॉ एच सी विपिन कुमार जैन, संरक्षक आलोक मित्तल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, डॉ एच सी आरके जैन, डॉ आरके शर्मा, शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जैन, बीना एडवोकेट ने कहा कि मूर्तिकला का उपयोग विचारों को व्यक्त करने, कहानियां सुनाने और सुंदरता दिखाने के लिए हजारों वर्षों से किया जाता रहा है और यह आज भी एक महत्वपूर्ण कला है। उन्होंने कहा किमूर्ति बनाने के लिए आम तौर पत्थर, कांस्य और कुछ अन्य चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा आज मूर्तियां बनाने के लिए कई अन्य विकल्प उपलब्ध हैं।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ