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इस लड़के का नाम सुरेश है और इस बैचारे का कसूर सिर्फ इतना है कि ये गरीब है।

इस लड़के का नाम सुरेश है और इस बैचारे का कसूर सिर्फ इतना है कि ये गरीब है। 

और इसकी कहानी इतनी दर्दनाक है कि क्या ही कहूँ….

 

 सुरेश बेगुनाह होते हुए भी 2 साल जेल में रह के आज छूटा है और जब जेल से बाहर आया तो बूढ़े मां-बाप से लिपट के खूब रोया इसके आँसू ने आज कर्नाटक सरकार हिला दी….! 

 

हुआ यूं कि कर्नाटक के मैसुर के पास गांव में सुरेश अपनी पत्नी और मां-बाप के साथ रहता था, पिता बुजुर्ग थे और उनको अस्थमा था तो वो घर पर ही रहते थे.. सुरेश मजदूरी कर के जैसे-तैसे घर चलाता था। एक दिन सुरेश की पत्नी घर से गायब हो गई.. बेचारा सुरेश उसको 2-3 दिन ढूंढ़ा लेकिन नही मिली.. तो वह पुलिस थाने रिपोर्ट लिखवाने गया।

 

पुलिस थाने में उसको दिन भर बैठाया और शाम को उसकी रिपोर्ट लिखी.. वह रिपोर्ट दे कर घर आया और सो गया। इत्तेफ़ाक़न पुलिस को दूसरे दिन जंगल में एक महिला का जला हुआ नरकंकाल मिला.. पुलिस दिन में सुरेश को उठा ले गई और उसके साथ मार-कूट कर के पेपर साईन करवा लिये।

 शाम को TV पर आ कर मैसूर SP हत्या की गुत्थी सुलझाने का दावा कर के वाह-वाही लूट लेते है।

 

सुरेश को आनन-फानन में कोर्ट में पेश कर 5 दिन का रिमांड लेते है। इन 5 दिन में जो पुलिस ने झूठ बोला पुलिस उसको सच साबित करने में लग जाती है। मसलन कुल्हाड़ी से हत्या की वह कुल्हाड़ी जप्त की गई.. जिस केन में पेट्रोल लाया वो केन बाजार से खरीदी गई उस दुकानदार को गवाह बनाया किमेरे यहां से केन खरीदी, पंप वाले कर्मचारी को गवाह बनाया गया कि यह केन में पेट्रोल मुझ से ले गया।

 

सुरेश के पड़ोसियों को गवाह बनाया कि दोनों रोज लड़ते थे.. ऐसे कर-कर के पुलिस ने बिना जांच किये चार्जशीट दायर कर दी और सुरेश सलाखों के पिछे चला गया। सेसन कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा भी हो गई। सुरेश चीखता-चिल्लाता रहा कि मैंने अपनी बीवी को नही मारा है मगर उसकी एक न सुनी गई.. यहां तक की DNA रिपोर्ट भी फर्जी बना दी गई।

 

मगर ईश्वर की अदालत में सुरेश बेगुनाह था इसलिये किस्मत ने पलटी मारी। सुरेश का एक दोस्त था वो जानता था कि सुरेश हत्या नही कर सकता। जो काम पुलिस को करना था वह काम सुरेश के दोस्त ने किया। अपना काम-धंधा छोड़ सुरेश को बेगुनाह साबित करने में लग गया और उसकी मेहनत रंग भी लाई। गोवा के होटल में सुरेश की पत्नी उसको नजर आ गई जो जिंदा थी और उसकी हत्या के जुर्म में सुरेश इधर अंदर सड़ रहा था।

 

सुरेश के दोस्त ने गोवा से ही उसके गांव पुलिस थाने फोन किया की इंस्पेक्टर साहब सुरेश की पत्नी जिंदा है और वो गोवा के इस होटल में मेरे सामने खाना खा रही है। इंस्पेक्टर साहब ने सुरेश के दोस्त को गालियां दी और कहा कि फोन रख दे। अब सुरेश के दोस्त ने गोवा पुलिस को बोला कि ये औरत इसका नाम मिल्ली है और ये जिंदा है जबकि कर्नाटक पुलिस इसको मार चुकी है और एक बेगुनाह को अंदर डाल रखा है। 

 

गोवा के पुलिस वाले ने सुरेश के दोस्त को कहा कि ऐसे कैसे इसको गिरफ्तार कर सकते है..? तू एक काम कर, जा कर उसको चांटा मार दे.. तो वो भी तुझसे लड़ेगी.. उस समय मैं तुम दोनों को शांति भंग में थाने ले चलूंगा.. फिर वहां से मैसूर के SP को अवगत करवायेगें। 

सुरेश के दोस्त ने वैसा ही किया.. उस औरत और उसके साथ जो आदमी था दोनों से हाथापाई करने लगा, बाहर पुलिस थी होटल वाले ने पुलिस बुला ली और पुलिस तीनों को पकड़ के थाने ले गई।

 

वहा आधार कार्ड मांगे.. फिर मैसूर SP को अवगत कराया कि यह मैसुर से भागकर गोवा आई है और यहां होटल में लड़ाई झगड़ा करती हुई पकड़ी गई है। अब SP साहब फोन पर तो हाँ-ना करते रहे मगर उनको पता चल गया कि ये लड़की वही है जिसकी सजा सुरेश पा रहा है।

SP साहब ने तुरंत इंस्पेक्टर को फोन किया।

और पूछा कि 2 साल पहले जो जंगल में लाश मिली थी वह किसकी थी। इंस्पेक्टर बोला की वह सुरेश की पत्नी मिली की थी। SP बोले की मिल्ली मरी नहीं जिंदा है। तुमसे तो मैं बाद में निपटता हूँ.. और फोन काट दिया।

 

SP ने तुरंत एक टीम गोवा भेजी जो मिल्ली को लेकर मैसूर आ गई। पुलिस ने मिल्ली को कोर्ट में पेश किया। मिल्ली ने कहा कि मैं दुसरे से प्रेम करती थी इसलिये उसके साथ चली गई.. सुरेश को जेल में डाला यह बात मैं नहीं जानती थी।

 

और इस तरह कर्नाटक हाईकोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई.. 1 लाख मुवावजा सुरेश को देने का हुक्म दिया और सुरेश को बाइज्जत बरी किया। SP ने मैसूर देहात थाने के पूरे स्टाफ को बर्खास्त किया।

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