
दुर्घटना के मामले में उजागर हो रहा है चौकी पुलिस का निर्दयता पूर्ण
रिपोर्टर:विकास भार्गव/अखंड भारत न्यूज़
कौशाम्बी। संदीपन घाट थाना क्षेत्र के हररायपुर पुलिस चौकी इंचार्ज का निर्दयता पूर्वक घिनौना चेहरा उजागर हो रहा है दुर्घटना के बाद पुलिस घायलों को इलाज कराने के लिए अस्पताल नहीं भेजती है बल्कि घायलों का दोष बता कर उन्हें चौकी पुलिस हिरासत में ले लेती है और दुर्घटना करने वाले वाहन चालकों को भी अपने हिरासत में लेकर धन वसूली में जुट जाती है जिससे दुर्घटना के बाद घायल चौकी में बैठे रोते कराहते रहते हैं उनके शरीर से खून बहता रहता है लेकिन चौकी पुलिस की निर्दयता कम नहीं होती है दूसरे की पीड़ा इन्हें महसूस नहीं होती है दोषी वाहन चालकों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार करने के बजाय चौकी पुलिस समझौते में ज्यादा उतावली दिखाई पड़ती है जब तक घायल व्यक्ति समझौता पत्र नहीं लिख देता है तब तक चौकी पुलिस घायल को भी अस्पताल नहीं जाने देती है पीड़ा से परेशान घायल व्यक्ति मजबूर होकर चौकी पुलिस की बात मान लेता है और समझौता लिख देता है समझौता लिखने के बाद चौकी पुलिस दुर्घटना करने वाले वाहन को छोड़ देती है और उससे रकम वसूल लेती है चौकी पुलिस का निर्दयतापूर्ण चेहरा इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है इसी तरह का एक मामला 12 अप्रैल की दोपहर में चौकी क्षेत्र में देखने को मिला है
प्रयागराज जनपद के गऊ घाट निवासी लकी मंझनपुर में एक निमंत्रण में शामिल होने जा रहे थे जैसे ही वह हर्रायपुर पुलिस चौकी क्षेत्र में पहुंचे अचानक उल्टी दिशा से ऑटो चालक ने तीव्रगति से वाहन चलाते हुए सड़क पर दूसरी दिशा में वाहन मोड़ दिया जिससे स्कूटी सवार लकी स्थिति को संभाल नहीं सका और तेजगति से आते हुए ऑटो चालक ने स्कूटी में टक्कर मार दी जिससे स्कूटी सवार सड़क पर गिर पड़ा कई जगह चोट लग गयी और घायल हो गया मामले की सूचना चौकी पुलिस को मिली तो घायलों को अस्पताल भेजने के बजाय चौकी पुलिस ने ऑटो चालक और स्कूटी चालक दोनों को पकड़कर चौकी ले गई कई घंटे तक दोनों को अपने कैद में रक्खे रहे मामले की शिकायत संदीपन घाट थानेदार से भी हुई उन्होंने भी चौकी इंचार्ज को निर्देशित किया क्षेत्र के कुछ पत्रकार भी मौके पर पहुंच गए घायल के रिश्तेदार भी मौके पर पहुंचे लेकिन चौकी पुलिस ने अपने समझौते के जिद्द को नहीं छोड़ा शरीर से बहते खून और पीड़ा से कराह रहे स्कूटी सवार ने मजबूर होकर के चौकी पुलिस की नाजायज बात मान ली और समझौता पत्र लिख दिया है समझौता लिखने के बाद जब स्कूटी सवार बाहर आया तो उसने इलाज कराया है दुर्घटना में स्कूटी का बंपर मेड़गाड और आगे की हेडलाइट सहित कई सामान टूट गया है स्कूटी सवार के वापस लौटते ही दुर्घटना करने वाले वाहन चालक को वाहन समेत पुलिस ने छोड़ दिया और मोटी रकम ले ली है सवाल उठता है कि दुर्घटना के मामले में चौकी पुलिस का इतना निर्दयता पूर्ण चेहरा पूरी पुलिस वर्दी को शर्मसार कर रहा है पुलिस अफसर मानवता का पाठ पढ़ाते हैं लेकिन चौकी इंचार्ज पीड़ा दर्द कराह में भी नहीं पसीजते हैं आखिर पुलिस वर्दी कलंकित करके धन वसूली में जुटे चौकी इंचार्ज के कारनामे को अफसर संज्ञान लेकर इन्हें दंडित करेंगे या फिर इसी तरह घायलों के पीड़ा पर यह वसूली करके मालामाल होते रहेंगे न्याय प्रिय व्यवस्था पर यह सवाल खड़े हो रहे हैं।