
सतना : साहित्य और नव सृजन के लिए अभिनव कार्य कर रही नागौद की सृजन साहित्यिक संस्था की मासिक गोष्ठी का आयोजन देश की जानी मानी कवयित्री सरोज सिंह सूरज के निवास पर बुद्ध पूर्णिमा के उपलक्ष्य में संपन्न हुई। जिसका केंद्र बिंदु तथागत बुद्ध रहे। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि रामलाल सिंह परिहार जी ने की। कवि कुंवर ने बुद्ध के द्वारा बताए गए चार मार्गों और आष्टांगिक मार्गों को जीवन से कैसे जोड़ें पर विस्तृत व्याख्यान दिया। सूरज ने कहा की बोध का अर्थ है ज्ञान और जिसे बोध हो जाए वही बुद्ध है। हमारी कमी ये है की हम अपने आराध्यों को तो मानते हैं बीएस उनकी बातें नहीं मानते। जाख़ी न कहा की हिंदू धर्म की बुराइयों को दूर करने के अथक प्रयास हुए और जब गहराइयों में व्याप्त बुराइयों पाखंड को दूर नहीं किया जा सका तो अलग पंथ और शाखाओं का प्रस्फुटन हुआ जिनमे से बौद्ध, सिख, जैन धर्म प्रमुख हैं। सृजन के संरक्षक रामलाल सिंह परिहार जी ने कहा की बुद्ध जिस अवतारवाद पाखंड और ईश्वर को नकारते रहे उनके निवार्ण के बाद उन्हीं के अनुयायियों ने बुद्ध को अवतार घोषित कर उनकी पूजा अर्चना शुरू कर दी। दूसरे सत्र में काव्यपाठ का आयोजन हुआ। कालिका प्रसाद शास्त्री ने ‘अब तो राजा नहीं चोर हैं देश में’ पढ़कर वर्तमान हालतों को बयां किया। सेमरवारा के किसान कवि योगेश योगी ने ‘बेशक कंटक हों राहों पर चलना है’ सुनाकर जीवन पथ को समझाया। सरोज सिंह सूरज ने ग़ज़ल ‘ काश दिल के भी अंधेरों को मिटाए सूरज ‘ पढ़कर भाव विभोर कर दिया। बघेली के सशक्त हस्ताक्षर रमेश सिंह जाखी ने ‘बिन पौआ बांटे मिल जात रही परधानी’ सुनाकर देश गांव से जुड़ी तमाम समस्याओं और भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार किया। सृजन के अध्यक्ष अजीत सिंह कुंवर ने गीत ‘हो गया आज मानव क्यों दानव यहां’ पढ़कर कुरीतियों पर कलम से चोट की। वरिष्ठ कवि रामलाल सिंह ने ‘पेड़ कटा कागज बना और बना अखबार, विज्ञापन उसमें छपा पेड़ बचाओ यार’ जैसे समसामयिक दोहों को पढ़कर वर्तमान व्यवस्था पर अपना दर्द साझा किया। कार्यक्रम का संचालन खेल प्रशिक्षक अरुण प्रताप सिंह ने किया एवम आभार प्रदर्शन किंडर गार्टन स्कूल के संचालक राकेश सोनी ने किया। कार्यक्रम में डॉ. एस एन पाल विशेष रूप से उपस्थित रहे।