
सरकार द्वारा गरीबों को निशुल्क विधिक सहायता-शिवानी जैन एडवोकेट
ऑल ह्यूमन सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि भारतीय संसद ने विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 पारित किया था। इसमें गरीबों को नि:शुल्क में कानूनी सहायता देने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि
आप न्याय पाने के लिए मुकदमा लड़ना चाहते हैं और आपके पास इसके लिए पैसे नहीं है, तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है. सरकार आपको नि: शुल्क में एडवोकेट उपलब्ध कराएगी।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक एवं प्राचीन मानवाधिकार काउंसिल सदस्य डॉ एच सी विपिन कुमार जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट मुफ्त कानूनी सहायता पाने को मौलिक अधिकार करार दे चुका है।मुफ्त में कानूनी सहायता पाने का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए जीवन जीने के अधिकार के तहत आता है।
इसके अलावा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39A में भी कहा गया है कि राज्य ऐसी व्यवस्था बनाएगा, ताकि सभी नागरिकों को न्याय मिल सके।आर्थिक तंगी या किसी अन्य अयोग्यता के कारण कोई नागरिक न्याय पाने से वंचित नहीं रहना चाहिए।सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रहे कृष्णा अय्यर ने एक सिद्धांत प्रतिपादित करते हुए कहा था कि मुफ्त कानूनी मदद पाना हर गरीब का मूलभूत अधिकार है।
थिंक मानवाधिकार संगठन एडवाइजरी बोर्ड मेंबर डॉ कंचन जैन, शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जैन, बीना एडवोकेट संरक्षक आलोक मित्तल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट,निदेशक डॉ नरेंद्र चौधरी, आदि ने कहा कि में नालसा यानी कि राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण का एक खास ऐप आपकी मदद करेगा। यहां आपको घर बैठे कानूनी सलाह मिलेगी, वो भी बिल्कुल मुफ्त। आप चंद सेकंड में अपने फोन पर लीगल एड ऐप के जरिए देश के किसी भी गांव या शहर से कानूनी सहायता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ