
भारतीय संविधान के निर्माता डॉ भीम राव अंबेडकर, जिनका जन्म 14 अप्रैल, 1891 में एक गरीब और दलित परिवार में हुआ , इस साल इनकी 133 वीं जयंती मनाई जा रही है।
आपको बता दें कि दलित परिवार में जन्म लेने के कारण बाबा साहेब आंबेडकर को बचपन से ही जाति को ले कर भेदभाव का सामना करना पड़ा। लेकिन वर्तमान में आधुनिक हथियार , शिक्षा के बल पर उन्होंने जाति-पाति के बंधन को कमजोर कर, स्वयं तो शिक्षा हासिल ही की, साथ ही दलितों, वंचितों, मजदूरों और महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ खड़े होकर लंबी लड़ाई भी लड़ी।
भारतीय संविधान में अस्पृश्यता के अंत को मौलिक अधिकार के साथ ही संविधानिक उपचार का भी प्रावधान किया और ऐसे वंचित वर्ग के लोगों को समाज के मुख्य धारा से जोड़ने के लिए गुरुत्व प्रयास किया।
गौरतलब है कि गरुड़ झेप एकेडमी पूणे ,जो शिक्षा के क्षेत्र में पिछले 15 वर्षों से सेवारत है, अंबेडकर जयंती को बहुत ही उत्साह और धूम-धाम से मनाया। साथ ही साथ आपको बता दें कि डॉ भीमराव अम्बेडकर ने हमारे देश को एक नई दिशा एवं पहिचान दिलाया। अब बारी हमारी है कि अपने आप को और देश को किस दिशा में आगे बढ़ाना है, यह तय करेगी हमारे देश की प्रगतिशील एवं जागरूक युवा।
रिपोर्ट: गिरिजेश कुमार शर्मा ( पूणे )