
अस्पताल का किचन चला रहे ठेकेदार, भोजन की गुणवत्ता दरकिनार
अंबेडकरनगर : जिला चिकित्सालय में मरीजों को शुद्ध एवं पौष्टिक भोजन मुहैया कराने के उद्देश्य से लाखों रुपये से निर्मित किचन, डायटीशियन और कर्मचारी तैनात हैं, फिर भी मरीजों को ठेकेदारी प्रथा से भोजन परोसा जा रहा है। यहाँ खाने की गुणवत्ता को दरकिनार कर साफ-सफाई पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मरीजों को मेन्यू के हिसाब से भोजन पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। यहां के मरीज भी घटिया भोजन परोसे जाने की शिकायत कर रहे हैं।
जिला अस्पताल सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सामान्य मरीजों के साथ प्रसूताओं को प्रतिदिन सुबह- शाम भोजन उपलब्ध कराया जाता है। जिला चिकित्सालय में आधुनिक किचन बनाया गया है, लेकिन उसमें भोजन नहीं बनाया जाता बल्कि उसके बगल वाले कक्ष में भोजन पकाया जा रहा है। प्रसव के बाद भर्ती महिलाओं को मिलने वाले भोजन में
जिला अस्पताल में बदहाल किचन कक्ष व बर्तन घुलतीं महिला कर्मी व किचन के बगल बने कमरे में इस तरह बन रहा भोजन
*वार्ड में भोजन को देने जाता कर्मी*
*जबरदस्त खेल किया जा रहा है। उन्हें फल, मक्खन व दलिया के दर्शन नहीं*
मरीजों के भोजन की गुणवत्ता
सुधारने के लिए डायटीशियन को निर्देशित किया गया है। इसकी जांच कराई जाएगी कमियां मिलने पर टेंडर को निरस्त करने की कार्रवाई की जाएगी।
– *डा. ओम प्रकाश, सीएमएस्*
हो रहे, ‘जबकि दूध दूध की गुणवत्ता भी सही नहीं है। दही भी भी कभी-कभार ही
मिलती है। हरी सब्जी का भी यही हाल है। दिन व रात के खाने में रोटी दाल व चावल से रहा है। भर्ती काम चलाया जा शासनादेश में प्रसव के लिए गर्भवतियों को नाश्ते में दूध, दलिया, मक्खन, ब्रेड और पोहा दिए जाने का प्रविधान है, जबकि दिन के भोजन में रोटी दाल, चावल, दही. सलाद और मौसमी सब्जियां शामिल रात के खाने होनी चाहिए। इसी तरह रात
में सेब, संतरा, केला जैसे फल देना अनिवार्य है, पर प्रसूताओं को दूध और महज रोटी-दाल, ब्रेड व चावल देकर बहलाया जा रहा है। बुधवार को जागरण टीम ने चिकित्सालय के प्रसूति वार्ड का जायजा लिया तो भर्ती महिलाओं व तीमारदारों ने हकीकत बताई। प्रसूताओं ने बताया कि भोजन तो मिलता है, पर फल, घी व पौष्टिक आहर नहीं नहीं दिए जा रहे हैं।