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नियमों की धज्जियां उड़ा रहे डॉक्टर ना अधिकारियों की चिंता ना कार्यवाही का डर

उप स्वास्थ्य केदो पर पदस्थ सी एच ओ पद पर संविदा आधार पर नियुक्त डॉक्टर नहीं पहुंच रहे अपने मुख्यालय गढ़ाकोटा

नियमों की धज्जियां उड़ा रहे डॉक्टर

ना अधिकारियों की चिंता ना कार्यवाही का डर

 स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ डॉक्टर दावों को धता बताते हुए ले रहे मुफ्त का वेतन।

सागर गढ़ाकोटा से राजेंद्र साहू की रिपोर्ट

मध्य प्रदेश शासन ने ग्रामीण क्षेत्रों में उप स्वास्थ्य केदो पर सी एच ओ के पद पर डॉक्टरों की संविदा नियुक्तियां इस उद्देश्य की थी कि गांव में सर्दी जुकाम मलेरिया गर्भवती महिलाएं सहित प्राथमिक दवाएं लिख सके एवं उनका परीक्षण कर सके ऐसे संविदा पर पदस्थ डॉक्टर को रोज उप स्वास्थ्य केंद्र पर रहना जरूरी है एवं वहीं पर उनको अपना हेड क्वार्टर बनाना भी है किंतु प्रदेश के सागर जिले में गढ़ाकोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत आने वाले सभी ग्रामीण उप स्वास्थ्य केदो में सी,एच,ओ के पद पर पदस्थ डॉक्टर अपने निरंकुश और तानाशाही स्वभाव को लेकर चर्चा का विषय बने हुए हैं। लगभग 5 साल पहले ग्रामीण क्षेत्रों में शासन द्वारा निर्मित सामुदायिक उप स्वास्थ्य केदो में संविदा आधार पर सी,एच,ओ, के पद पर डॉक्टरों की नियुक्तियां की गई थी,,,
जिनको सरकार अच्छा खासा मानदेय भी भुगतान कर रही है,,,
लेकिन यह डॉक्टर चार-चार छह छह महीने तक अपने ड्यूटी स्थल पर नहीं पहुंचते।
क्षेत्र में पदस्थ एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका,और गांव के लोगों ने इस बात की पुष्टि की है कि मैंने दो-चार महीने में एक बार डॉक्टर आते हैं कुछ घंटी रोकने के बाद चले जाते हैं
पत्रकारों  द्वारा पूछे जाने पर स्पष्ट रूप से कहा कि डॉक्टर साहब दो-चार महीने में एकाध दिन को आते हैं बाकी फोन पर कार्यक्रम की जानकारी पूछ लेते हैं।
जब संबंधित डॉक्टर से पत्रकारों ने सवाल किया तो डॉक्टर गोलमोल जवाब देते नजर आए और कुछ डॉक्टरों ने तो बातों ही बातों में अपनी गलती स्वीकार भी की।
उपरोक्त संदर्भ में जब मीडिया के साथी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी गढ़ाकोटा डॉक्टर सुरेश सिंघई से मिले तब उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के नियम अनुसार पदस्थ डॉक्टर को हेड क्वार्टर बनाकर 24 घंटे अपने स्वास्थ्य केंद्र पर ही निवास करना है और 8 घंटे की नियमित ड्यूटी के अलावा आपातकालीन सेवाएं भी देनी है।
साथ ही कुछ प्राथमिक उपचार करना उनकी जिम्मेदारी है लेकिन डॉक्टर अपने केंद्र पर नहीं जाते,, इसके विपरीत गढ़ाकोटा में अपनी प्राइवेट डिस्पेंसरी खोलकर मरीज का प्राइवेट में इलाज कर रहे हैं और वेतन के साथ शासन के नियमों के विरुद्ध मोटी कमाई कर रहे हैं।
ऐसे ही एक डॉक्टर हैं डॉक्टर अजय उपाध्याय जो उप स्वास्थ्य केंद्र संजरा में सी,एच,ओ, के पद पर पदस्थ हैं लेकिन महीनों अपने ड्यूटी स्थल पर नहीं जाते और फोन पर ही जानकारी मंगा लेते हैं,,, डॉ अजय उपाध्याय की तरह लगभग सभी डॉक्टरों के हाल हैं।
उच्च अधिकारियों पर उठ रहे हैं सवाल जो डॉक्टर उनके उन अधिकारियों के अंदर में काम कर रहे हैं वह दो तीन तीन चार चार मी अपने पदस्थ उपसर्ग केदो पर नहीं पहुंचने के बाद भी ब्लॉक में पदस्थ अधिकारी कहां सो रहे हैं एवं उनकी जानकारी उन तक क्यों नहीं पहुंच रही है इस बात से यही सिद्ध होता है कि उच्च अधिकारी भी स्वास्थ्य केदो पर डॉक्टर के न पहुंचने के प्रति भी उदासीन बने हुए हैं किंतु प्रति माह वेतन निकालना उच्च अधिकारियों पर संदेह पैदा करता है ऐसे ही उदासीन अधिकारियों के कारण जूना जैसी घटनाएं क्षेत्र में हो रही है जहां पर विगत दो माह पूर्व एक 16 वर्षीय लड़की की मौत झोलाछाप डॉक्टर के इंजेक्शन लगाने के कारण हो गई थी
जब यह सवाल आम जनता से पूछा जाता है तब जनता का एक ही मत होता है कि ऐसे डॉक्टरों पर कठोर से कठोर कार्रवाई की जाए। 

इनका कहना है की उप स्वास्थ्य केदो पर पदस्थ संविदा डॉक्टर को मुख्यालय पर रहना ही जरूरी है एवं रोज उप स्वास्थ्य केदो पर पहुंचना जरूरी है इस संबंध में मैंने  एक पत्र सभी  उप स्वास्थ्य केंद्र पर पदस्थ डॉक्टर को दिया गया है यदि अपनी ड्यूटी पर नहीं पहुंचते हैं तो उनके विरुद्ध शासन के नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी

डॉक्टर सुरेश सुयश सिंघई सीएमएचओ  रहली

AKHAND BHARAT NEWS

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