
घाघरा।सरकारी स्कूल के भवन में निजी स्कूल का संचालन।नियमों को ताक पर रख कर किया गया आवंटन।कमीशन खोरी की बात से इनकार नही किया सकता।प्रखंड विकास पदाधिकारी ने किसी भी तरह की जानकारी देने से किया इनकार।हम बात कर रहे है गुमला जिले के घाघरा प्रखंड में बेकार पड़े सरकारी भवन का आवंटन कर कमीशन खोरी का तांडव
घागरा प्रखंड के बेलगारा पंचायत के नवाटोली गांव में मर्ज पड़े सरकारी विद्यालय भवन के आवंटन के साथ शिक्षा विभाग का खेल उजागर हो रहा है
एक निजी विद्यालय जो की पंजीकृत है शिक्षा विभाग में निजी विद्यालय के तौर पर उसे भवन उपलब्ध करा कर और उसका कमिशन शिक्षा विभाग हर स्तर पर खा रहा है
किसी भी सरकारी संपत्ति का व्यक्तिगत या प्राइवेट उपयोग की अनुमति देने का अधिकार किसी को भी नहीं है यदि ऐसा होता तो दुनिया भर में पूरे झारखंड में इतने सारे सरकारी भवन पड़े हुए हैं उनको ग्राम पंचायत ग्राम सभा या अन्य अन्य माध्यमों से उसके उपयोग की अनुमति देकर उसका उपयोग किया जा सकता था लेकिन वह खंडहर हो रहा है धंस रहे हैं क्योंकि सरकारी भवन का उपयोग किसी भी अधिकारी को पदाधिकारी को व्यक्तिगत रूप से उपयोग करने देने का अधिकार नहीं है फिर ऐसे में कैसे घाघरा प्रखंड के बेलागरा पंचायत के नवटोली ग्राम में एक सरकारी विद्यालय के बंद पड़े भवन को व्यक्तिगत उपयोग के लिए मनमानी पैसा शुल्क वसूलते हुए बच्चों को शिक्षा के नाम पर एक भ्रम फैलाते हुए सरकारी भवन के दोहन का आदेश कैसे दिया गया जब भी इस संबंध में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी से सवाल किया गया तो उन्होंने फोन उठाना ही बंद कर दिया दूरभाष पर कोई संपर्क ही नहीं हो पाया और नहीं वह अपने कार्यालय में उपस्थित रहते हैं माननीय वीडियो साहब से इस बारे में प्रश्न किया गया तो उन्होंने कहा यह शिक्षा विभाग का विषय है आप उन्हीं से चर्चा कीजिए उन्हीं से बातचीत कीजिए
क्योंकि इस विषय पर जानकारी प्राप्त हुई है एक आधिकारिक पत्र जारी हुआ है जिसकी कॉपी नहीं दी गई शिक्षा विभाग द्वारा जो कि देखा गया कि उसमें वीडियो के द्वारा प्रखंड विकास पदाधिकारी के द्वारा आवंटित किया गया है एक प्राइवेट स्कूल को संचालित करने के लिए जिसमें ग्राम पंचायत के बहुत सारे लोग सम्मिलित हैं अर्थात यह सारे लोग सरकारी संपत्ति का बंदर बांट कर रहे हैं उसका उपयोग कराकर कमीशन खा रहे हैं अथवा खा चुके हैं ऐसी स्थिति में कौन देखे किसको देख सरकार समाज जनता किसके पास न्याय की गुहार लगाने जाए क्या सरकारी संपत्ति इसलिए होती है कि किसी व्यक्तिगत आदमी को जो पदाधिकारी है वह उसको आमंत्रित कर दें और वह अकेला उसका फायदा उठाता रहे
ज्ञात होगी जो व्यक्ति इस तरह का फायदा हमारे पंचायत में यहां पर उठा रहा है हमारे प्रखंड में वह व्यक्ति ना तो हमारे गांव का है नहीं हमारे पंचायत का है नहीं हमारे प्रखंड का है और नहीं हमारे जिला का है तो फिर इसमें साफ स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि कहीं ना कहीं कमीशन खोरी कर पैसा खाकर घूसखोरी कर मैनेज कर और उनको इस तरह का आवंटन कर दिया गया है जो दूसरे जिला के से आकर के यहां पर इस तरह का सरकारी संपत्ति का व्यक्तिगत दोहन कर रहा है
क्या झारखंड की झामुमो सरकार इसी के लिए जानी जाती है कि हर जगह भ्रष्टाचारी हर जगह घूसखोरी हर जगह अव्यवस्था
क्या यह अधिकारी इतने छोटे हो गए हैं कि जिसको जैसा मर्जी वैसा आदेश रुपया दे कर निकाल करके और उसे पर काम कर रहे हैं उसका कमीशन खा रहे है
वर्तमान प्रखंड विकास पदाधिकारी जी से इस विषय पर सवाल किया गया तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है आप शिक्षा विभाग से बात कीजिये
शिक्षा विभाग से बात करने पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ना तो फोन उठाते हैं ना ही कोई जवाब देते हैं जब फोन ही नहीं उठाएंगे तो जवाब कैसे देंगे इसलिए माननीय से निवेदन है कि इस विषय पर त्वरित कार्रवाई करते हुए ऐसे सरकारी भवन का दुरुपयोग बंद कराया जाए और उन्हें उसे जनहित में उपयोग किया जाए और ऐसे कमीशन कोर अधिकारियों के ऊपर भी सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए साथ ही ऐसे विद्यालय चलने वाले पाखंडियों को जनता के सामने लाया जाए जो शिक्षा को बेच रहे हैं शिक्षा को एक धंधा बना चुके हैं वह भी सरकारी संपत्ति का उपयोग करते हुए
यहां तक की सरकारी भवन में अपने प्राइवेट विद्यालय का नाम नेम प्लेट लगाकर वह खुलेआम चल रहे हैं और प्रखंड के अधिकारी आंख बंद किए हुए कमिश्नर का पैसा खाकर सो रहे हैं