
राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य मार्गों तथा अन्य सार्वजनिक स्थलों पर खुले में विचरण कर रहे निराश्रित पशुधन के कारण दुर्घटनाओं की बढ़ती संभावना को देखते हुए मुख्य सचिव सुधांश पंत ने राज्य के सभी जिला कलेक्टर्स को पत्र लिखकर इसका समाधान करने के निर्देश प्रदान किए हैं।
इन दुर्घटनाओं को रोकने और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जिला कलेक्टर्स को निर्देश प्रदान किए गए हैं कि निराश्रित एवं खुले में विचरण करने वाले गौवंश को यथा शीघ्र चिन्हित कर स्थानीय गौशालाओं, नंदीशालाओं, अस्थायी पशु आश्रय स्थलों अथवा पशु पुनर्वास केंद्रों में स्थानांतरित किया जाए। इन निराश्रित गौवंशों की समस्या के समाधान के लिए स्वायत्त शासन विभाग, पंचायती राज विभाग, सार्वजनिक निर्माण विभाग एवं राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, पशुपालन एवं गोपालन विभाग, जिला प्रशासन तथा पुलिस/यातायात विभाग की भूमिका सुनिश्चित की गई है तथा सभी विभागों से अपेक्षा की गई है कि वे आपसी समन्वय के साथ काम करें।
स्वायत्त शासन विभाग को राजस्थान नगरपालिका अधिनियम के अंतर्गत प्राप्त अधिकारों का उपयोग करते हुए गौवंश को कांजी हाउस और गौशालाओं में भिजवाने के निर्देश दिए गए हैं साथ ही उन्हें निर्देशित किया गया है कि नगरीय क्षेत्र को गौवंश मुक्त क्षेत्र बनाया जाए और कचरा निस्तारण की व्यवस्था सुद्ढ़ की जाए जिससे निराश्रित गौवंश भोजन की अपेक्षा में इन स्थानों पर विचरण न करें। गौशालाओं तथा निजी स्वामित्व वाले गौवंश, सार्वजनिक स्थलों पर पाए जाने पर नियमानुसार कार्यवाही करने और निर्धारित जुर्माना वसूलने के निर्देश भी स्वायत्त शासन विभाग को दिए गए हैं।
पंचायती राज विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि वे पंचायत राज अधिनियम की धाराओं के तहत कार्यवाही करें और स्थानीय समितियों का गठन कर गौवंश की निगरानी और नियोजन सुनिश्चित करें। साथ ही सार्वजनिक निर्माण विभाग तथा राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को राजमार्गों के किनारे अवरोधक लगाने, चेतावनी बोर्ड लगाने, कैटल कैचर वाहन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। राजमार्गों पर पशुजन्य हादसों की संभावना को कम करने के उद्देश्य से नियमित रूप से पेट्रोलिंग तथा निराश्रित गौवंश को निकटतम गौशाला में भिजवाने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
पुलिस विभाग और यातायात विभाग को निर्देश दिया गया है कि वे निराश्रित गौवंश को गौशालाओं में भिजवाने के लिए स्थानीय निकायों और पंचायत राज संस्थाओं को आवश्यक और अपेक्षित सहयोग तथा सुरक्षा प्रदान करें।
पशुपालन एवं गोपालन विभाग को भी निर्देश दिया गया है कि राजकीय सहायता प्राप्त गौशालाओं द्वारा उसकी कुल क्षमता का कम से कम 10 प्रतिशत निराश्रित पशुधन आवश्यक रूप से स्वीकार करना होगा। अगर किसी गौशाला द्वारा ऐसा करने से मना किया जाता है तो इसकी लिखित सूचना संबंधित संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग को देनी होगी। ऐसी गौशालाओं के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही करने के निर्देश भी दिए गए हैं। गौशाला में स्थानांतरित निराश्रित गौवंश के भरण पोषण के लिए राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दरों पर बड़े और छोटे गौवंश के लिए नियमानुसार सहायता राशि देय होगी। रोगग्रस्त तथा दुर्घटनाग्रस्त गौवंश को तत्काल सुविधा एवं समुचित दवाइयां और फीड सप्लीमेंट आदि उपलब्ध करवाया जाएगा।
सभी विभागों को अपनी अपनी जिम्मेदारियों का गंभीरता से निर्वहन करने के निर्देश प्रदान करते हुए जिला प्रशासन को सभी दिशा निर्देशों की कड़ाई से अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए विभागों में अंतर्विभागीय समन्वय हेतु मासिक बैठक आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं। राज्य सरकार ने सभी जिला कलेक्टर्स कोे निर्देश दिए हैं कि सभी संबंधित विभागों में आपसी समन्वय स्थापित कर आवश्यक और तत्काल कार्यवाही करना सुनिश्चित करें ताकि सड़कों को गौवंश से मुक्त कर सड़क सुरक्षा, यातायात प्रबंधन एवं पशु कल्याण सुनिश्चित किया जा सके।