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मलीनता से नही स्वच्छता से होगा हनुमान जी से मिलन

हनुमान जी के चरित्र का वर्णन

जावरा – हनुमान जी सिर्फ सिंदूर लगी मूर्ति नहीं अपितू कलयुग के एकमात्र साक्षात देवता है जिनका दिव्य स्वरूप प्रबल है।हनुमान जी को मलीनता से नहीं अपितू स्वच्छता से प्राप्त किया जा सकता है क्योंकि हनुमान जी को सौंदर्य एवं स्वच्छता पसंद है, वे स्वयं सौंदर्य की प्रतिमूर्ति है हनुमान जी के शरीर प्रत्येक अंग मनोहारी है। उपरोक्त विचार समग्र मालवा द्वारा आयोजित मालवा विचार मंथन कार्यक्रम में ” वर्तमान में हनुमान चालीसा की प्रासंगिकता ” विषय पर बोलते हुए श्री नरेंद्र सिंह अकेला ने श्री राम विद्या मंदिर में उपस्थित प्रबुद्ध जनों के बीच व्यक्त किये।
श्री अकेला ने हनुमान चालीसा की विभिन्न चौपाईयो का तथ्य परख विश्लेषण करते हुए कहा कि महाकवि तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की रचना काराग्रह में की । तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा के प्रारंभ में ही जिन पक्तियो को लिखा उसमें सबसे पहले मां और तत्पश्चात गुरु का उल्लेख किया। आपने कहा कि हनुमान चालीसा लेखन को लेकर अनेक प्रकार की भ्रांतियां चलाए मान है परंतु उनकी मान्यता हनुमान जी के भक्तों में नहीं है ।महाकवि तुलसीदास जी ने रामलीला की स्थापना की और उसमे स्वयं हनुमान जी बने।
श्री अकेला ने कहा कि तन का इलाज हो सकता है परंतु मन का कोई इलाज नहीं हो सकता इसलिए मन को स्थिर रखने की आवश्यकता है जिससे मन का अहंकार समाप्त हो सकता है। आपने हनुमान जी का चरित्र वर्णन करते हुए कहा कि वह भोले के रुद्र अवतार है और अत्यंत बलशाली विद्वान और ज्ञानी थे ‌। आपने कहा कि हनुमान जी आरोग्य धन एवं बल प्रदान करने वाले देवता है जो उनकी भक्ति से प्राप्त की जा सकती है ‌‌।
श्री अकेला ने कहा कि महाकवि तुलसीदास जी ने राम को तपस्वी कहा क्योंकि राम ने ‘ कैकयी मां ‘ के इशारे पर सारे सुख त्याग दिए ।पेड़ के नीचे कुटिया बनाई और जमीन पर सोए तथा राजसी सुविधा का त्याग किया। आपने कहा कि सिद्धि प्राप्त करने के लिए तपस्वी बनना पड़ता है। अपने एक घन्टे के उद्बोधन में श्री अकेला ने हनुमान चालीसा की व्याख्या करते हुए अनेक प्रकार के उदाहरण देते हुए उपस्थित जनों के बीच हनुमान चालीसा का रस घोलते रहे ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री हरि नारायण अरोड़ा ने की तथा विशेष अतिथि के रूप में डॉ. प्रकाश उपाध्याय उपस्थित थे। अतिथियों ने मां सरस्वती एवं हनुमान जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित करते हुए कार्यक्रम का शुभारंभ किया एवं अपने विचार व्यक्त किये।अतिथियों का स्वागत अटल ग्राम विकास सामाजिक संगठन के अध्यक्ष अभय कोठारी, समग्र मालवा संयोजक मनोहर सिंह चौहान मधुकर , आयोजन समिति संयोजक जगदीश उपमन्यु ,कार्यक्रम समन्वय श्री रमेश मनोहरा ,महामंत्री महेश शर्मा ,मुन्ना भाई पेंटर ,राजेश धनोतिया आदि ने किया ।अतिथि परिचय डॉ. प्रकाश उपाध्याय एवं सरस्वती वंदना मनोहर सिंह चौहान ने प्रस्तुत की ।संस्था अध्यक्ष कोठारी ने आयोजन की जानकारी प्रदान करते हुए स्वागत भाषण दिया ।इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार श्री रमेश मनोहरा की 31वीं पुस्तक का विमोचन किया गया। संस्था के पदाधिकारी ने श्री अकेला एवं अतिथियों को शाल ,श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेट किये। कार्यक्रम मे नगर के प्रबुद्ध जन सर्वश्री सुरेश मेहता, अनिल पामेचा ,तेजराम मांगरोदा, यश जैन, संतोष मेडतवाल, पत्रकार सुजानमल कोचट्टा , जगदीश राठोर,अभय सुराणा , राजेंद्र त्रिवेदी ,राम चचलानी,
कैलाश बारोड,सतीशसेठिया ,महेश शर्मा पेंटर आदि उपस्थित थे। आभार प्रदर्शन श्री जगदीश उपमन्यु एवं संचालन श्री राहुल उपमन्यु ने किया।
7 से 14 जून तक आयोजित मालवा विचार मंथन कार्यक्रम के अंतिम दिन 14 जून को ” भारत का सांस्कृतिक अभ्युदय ” विषय पर श्री तेजराम मांगरोदा का व्याख्यान होगा।

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