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महाराष्ट्र में रहने वाले नांदेड़ के चालीस गांवों के लोग तेलंगाना के भी वोटर्स है। तेंलगाना के सुविधाओ का भी उठाते फायदा है।

महाराष्ट्र: राज्य महाराष्ट्र के नांदेड लोकसभा क्षेत्र में 38 से 40 गांव ऐसे हैं, जो बसे तो महाराष्ट्र में है, लेकिन वहां के निवासी वोटर तेलंगाना के हैं।

विजय कुमार भारद्वाज/मुंबई

महाराष्ट्र में रहने वाले नांदेड़ के चालीस गांवों के लोग तेलंगाना के भी वोटर्स है। तेंलगाना के सुविधाओ का भी उठाते फायदा है।

मुंबई/महाराष्ट्र: राज्य महाराष्ट्र के नांदेड लोकसभा क्षेत्र में 38 से 40 गांव ऐसे हैं, जो बसे तो महाराष्ट्र में है, लेकिन वहां के निवासी वोटर तेलंगाना के हैं। इसका कारण बताते हैं कि तेलंगाना सरकार महाराष्ट्र सरकार से कहीं बेहतर सरकारी साधन और सुविधाएं देती है, इसलिए वे तेलंगाना से ही जुड़े रहना चाहते हैं। ये लोग ज्यादातर हिंदी, तेलुगु और मराठी भाषा बोलते हैं। नांदेड शहर से करीब 90 किलोमीटर महाराष्ट्र की धर्माबाग, देगलूर और बिलोली तहसील हैं, जो तेलंगाना राज्य की सीमा से जुड़ी हैं। इन तहसील से सटकर ही तेलंगाना राज्य का बोधान और निजामाबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। तेलंगाना के इन दोनों निर्वाचन क्षेत्र से महाराष्ट्र के कई गांव के लोग वोटर हैं, जो वहां जाकर मतदान करते हैं। 20 साल तक येग्जी गांव के सरपंच रहे गंगाधर लक्ष्मणराव प्रचंड कहते हैं कि रिकॉर्ड में हमारा गांव महाराष्ट्र में आता है, लेकिन हम लोग मतदान तेलंगाना राज्य के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के उम्मीदवार को करते हैं।इसका कारण वहा के लोग बताते हैं कि महाराष्ट्र सरकार की तुलना में तेलंगाना सरकार अधिक साधन-सुविधाएं देती है। महाराष्ट्र से 100 रुपये ज्यादा मजदूरी तेलंगाना सरकार देती है। वहां की शिक्षा महाराष्ट्र से कहीं बेहतर है।पहली से 12 वीं तक की शिक्षा दलित, ओबीसी जैसे समाज के बच्चों को नि:शुल्क मिलती है और शिक्षा की क्वालिटी भी महाराष्ट्र से कहीं बेहतर है। हर तहसील में अच्छा स्कूल है। किसानों के लिए बहुत सारी योजनाएं हैं। जैसे, चौबीस घंटे बिजली है। गरीबों को 200 यूनिट बिजली फ्री मिलती है।तेलंगाना की तारीफ करते नहीं थकते गंगाराम कहते हैं कि तेलंगाना सरकार किसानों को बीज और खाद के लिए हर साल 10,000 रुपये देती है। किसानों के लिए पांच लाख रुपये की सरकारी नि:शुल्क बीमा योजना है। दिव्यांग, बुजुर्ग और विधवा महिलाओं के लिए कई सारी योजनाएं हैं और सभी मदद बिना किसी तरह के कागजात के मिलती है। सरकारी बाबू आकर देकर जाते हैं, जबकि महाराष्ट्र में किसी सरकारी योजना का फायदा लेने के लिए तहसील में पचासों बार चप्पल घिसनी पड़ती हैं। वह बताते हैं कि आए दिन यहां पर सरकार सर्वे कराती रहती है।तेलंगाना राज्य की सीमा पर बसे महाराष्ट्र के ज्यादातर गांव तेलंगाना राज्य से जुड़े हैं। उनके साथ रोटी-बेटी का भी संबंध है ।तेलंगाना में पांच लाख रुपये तक फ्री उपचार है और यह सुविधा हासिल करने के लिए महाराष्ट्र में पहले कार्ड बनवाना पड़ता है और वह कार्ड आसानी से नहीं बनता। यहां पर पहला बच्चा होने पर 6 महीने का पूरा सामान केसीआर किट योजना के तहत घर भेज दिया जाता है।पोषण आहार योजना के रूप में 1,500 रुपये तेलंगाना सरकार देती है। दो या तीन बेटियां हैं। हर बेटी को शादी मुबारक बोलकर योजना के तहत सरकार 1.16 लाख रुपये नकद देती है। फिर आप ही बताएं कि हम महाराष्ट्र से संबंध रखें या फिर तेलंगाना से रखें।

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