रियासत काल में मस्जिदों का जिक्र किया जाए तो कोटा में पहली मस्जिद चंबल किनारे चंद्रघटा में जामा मस्जिद के रूप में बनी थी, तब बूंदी के अधीन कोटा में राव माधव सिंह का शासन हुआ करता था, चंद्रघटा मस्जिद अपनी लंबी मीनार और खूबसूरत कलात्मक बनावट के लिए जानी जाती है, इतिहास के जानकार फिरोज अहमद के बताते हैं कि चंबल किनारे बनी चंद्रघटा की जामा मस्जिद को कोटा रियासत की पहली मस्जिद होने का गौरव प्राप्त है, तब के कोटा की फौज में काफी पठान होते थे, सन 1707 से 1730 तक राम माधव सिंह का शासन रहा था, उनके सेनापति गुलवीर पठान थे जो कोटा रियासत के पहले मुस्लिम सेनापति भी खिलते हैं, फौजियों के लिए अलग से तीन मस्जिद- उम्मेंद सिंह प्रथम के समय 1835 में सेना के पठान अधिक थे, उनके लिए छावनी रामचंद्रपुरा में फौजियों की मस्जिद बनवाई गई थी, इनकी चारमीनार काफी खूबसूरत है और राम सिंह द्वितीय के समय कहीं मस्जिदों का निर्माण हुआ, इनमें बिस्तियों की मस्जिद कसाइयों की मस्जिद और गोली गुलजार मस्जिद शामिल है, बीवी जोहर मस्जिद- मा रो उमेद सिंह द्वितीय के मुख्य सेनापति दलील खान की पत्नी बीबी जोहर ने 18वीं शताब्दी में चंद्रघटा में मस्जिद बनवाई थी इस बीवी जोहर की मस्जिद के नाम से जाना जाता है, महाराव उम्मेंद सिंह के समय 1819 की शताब्दी के मुख्य सेनापति दलील खान ने मौखापाड़ा कैथुनी अपनी हवेली में भव्य मस्जिद का निर्माण करवाया था, 17वीं शताब्दी में बनी थी ईदगाह कोटा की किशोरपुरा ईदगाह मध्यकाल की है इसका निर्माण 17वीं शताब्दी में राव माधॊसिंह जो की कोटा राज्य के प्रथम शासक थे उनके शासनकाल में 1631 के दरमियान कोटा में पहली ईदगाह बनी थी