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श्रीमानसपीठ खजुरीताल क्षेत्र हुआ राममय

हनुमतगाथा व सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न

हनुमत सेवा अभियान के तहत हुआ सामूहिक रूप से 2100 हनुमान चालीसा पाठ

मैहर। आदिकाल के धार्मिक केंद्र श्रीमानसपीठ खजुरीताल धाम में पाटोत्सव के चतुर्थ दिवस में शायंकालीन बेला में पादुकापूजन कार्यक्रम हुआ तत्पश्चात परम पूज्य सद्गुरुदेव भगवान जगद्गुरू श्रीरामललाचार्य जी महराज के मार्गदर्शन में युवा एकता परिषद द्वारा हनुमंतलाल की सेवा व धर्म जन जागृति हेतु प्रत्येक मंगलवार चलाए जा रहे हनुमत सेवा अभियान के तहत 19 वें अवसर पर खजुरीनाथ सरकार,हनुमान मंदिर प्रांगण में युवा एकता परिषद के संरक्षक हनुमत सेवक पंडित सचिन शर्मा सूर्या द्वारा युवा साथियों के साथ मिलकर साफ सफाई,सिंदूरअर्पण,चोला अर्पण,ध्वजा अर्पण करते हुए हनुमान जी महराज का भव्य श्रृंगार किया। उसके बाद सुंदरकांड व फल मिष्ठान व प्रसाद वितरित किया। खजुरीनाथ सरकार के दरबार में सामूहिक रूप से 2100 हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। उस दौरान जहाँ जय श्रीराम जय हनुमान जी महराज के नारे से दरबार गूँज उठा। सांध्यकालीन बेला में हनुमतगाथा का शुभारंभ करते हुए पाटोत्सव के आयोजक श्रीमानसपीठाधीश्वर जगद्गुरु श्रीरामललाचार्य जी महाराज ने कथाव्यास गद्दी पूजन किया। हनुमतगाथा सुनाते हुए डॉक्टर रामविलास दास वेदांती जी महाराज ने बताया की श्री हनुमान जी स्वयं शंकर जी ही हैं, जो अंजना के गर्भ से जन्म लिए। श्रीराम जी की सेवा करने के लिए शंकर जी ने जन्म लिया। तमिलनाडु और आँध्रप्रदेश के मध्य सीमा में एक गाँव हनुरूह है, जहाँ हनुमान जी का जन्म हुआ,जिसके कारण हनुमान जी का नाम हनुमान पड़ा था। इनका स्मरण मात्र करने से संकट दूर हो जाता है या यूँ कहें की संकट दूर करने का मंत्र ही श्री हनुमान हैं। जब प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था, तब भगवान शंकर हनुमान जी को लेकर दर्शन करने गए थे। तब भगवान बहुत खुश हुए थे,भगवान शंकर डमरु बजाते थे और श्री हनुमान जी महाराज नाचते थे।

उसके बाद जब भगवान राम का बरुआ 7 वर्ष 3 माह बाद हुआ,तब उसमें भगवान शंकर मदारी बनके आए थे। तब हनुमान जी ने इतना रिझाया की वो इतना खुश हो गए कि महाराज दशरथ को बोला की इस बंदर को ले लीजिए,तब महाराज दशरथ ने मना कर दिया,तब भगवान अपनी माँ के पास गए और माँ ने हाँ बोला और उनको मनाया। 

अपने राम जी को बंदर मँगाये लूँगी,

हाँ बंदर मगाऊ लाल को रिझाऊ,

हाथ में लोटा लाल लगोटा, 

विनती अवध से कर लूँगी,

चरो लाला की लू बलैया,

आगन में छम छम नचा लूँगी।

भगवान राम जब विद्या लेकर आए तब उनकी उम्र 15 वर्ष की थी। उसके बाद विश्वामित्र उनको लेने आए तब बहुत कहने पर श्री दशरथ भेजने को तैयार हो गए। उसके बाद विश्वामित्र ने बताया हम जनकनंदन के यहाँ चलेंगे, वहाँ आपको जनककुमारी मिलेंगी। हनुमान जी मिलाने का काम करते हैं, भगवान राम और सीता को मिलाया,सुग्रीव और राम को मिलाया,बिभीषण को मिलाया। कभी तोड़ने का काम नहीं किया। तुलसीदास जी ने लिखा है हनुमान जी लोगों को आपस में मिला कर उनका दुख दूर करते हैं इसलिए उनका नाम हनुमान है। और जो हनुमान जी का पूजन,कीर्तन करता है, उसके जीवन का संकट दूर होके जो मागता है उसको मिल जाता है।

इसलिए हमारे संत कहते हैं कि हनुमान जी अभय बना देते हैं जो किसी से नहीं डरता। अंत में पाटोत्सव के चतुर्थ दिवस रात्रिक़ालीन बेला में युवाओं के शशक्त सामाजिक संगठन युवा एकता परिषद के आयोजकत्व में सांस्कृतिक कार्यक्रम संपन्न 

 हुआ। जिसमें विंध्य के जाने माने गीतकार आनंद शुक्ला अनंत और भजन गायक दिव्य प्रकाश शर्मा वासु के साथ ही युवा सिंगर सत्यम तिवारी द्वारा प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम का सफल संचालन वरिष्ठ कवियित्री डाॅ. आरती तिवारी द्वारा किया गया। इस रंगारंग कार्यक्रम के दौरान दर्शकों में काफ़ी उत्साह देखने को मिला। चतुर्थ दिवस पाटोत्सव के संपूर्ण कार्यक्रम के दौरान कार्यक्रम के आयोजक श्रीमानसपीठाधीश्वर जगद्गुरू श्रीरामललाचार्य जी महराज,जगद्गुरू श्रीघनश्यामा चार्य जी महाराज,जगद्गुरू श्री 1008 लोढ़ा दास जी महाराज जबलपुर, जगद्गुरू श्री वल्लभाचार्य महाराज,राम शरण पाठक,संतोष त्रिपाठी,मनोज शास्त्री अमरपटन,श्याम बिहारी,रुक्मणी सिंह सतना,शरद तिवारी बछेरा,विष्णु शर्मा रीवा आदि काफ़ी संख्या में संतजन व वरिष्ठजन उपस्थित रहे। खजुरीतालताल धाम के प्रमुख श्री अखिलेश दास जी महाराज ने सभी भक्तों से पटोत्सव कार्यक्रम में पहुँचकर कार्यक्रम को सफल बनाते हुए हनुमतगाथा का रसपान करने का अनुग्रह किया है। श्रीमानसपीठ परिवार के शिष्य कार्यक्रम के मीडिया प्रभारी पंडित सचिन शर्मा सूर्या ने बताया की श्रीमानसपीठ पाटोत्सव के दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु एवं भक्तगण प्रत्येक दिन कार्यक्रम का आनंद लेते हुए प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं।

AKHAND BHARAT NEWS

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