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सुप्रीम कोर्ट का फैसला,स्त्री धन पर पति या ससुराल वालों का कोई हक नहीं। जानिए क्या-क्या आता है?

देश में हो रहे लोकसभा चुनाव 2024 के बीच कुछ शब्द बार-बार सुनाई दे रहे हैं, जिनमें मंगलसूत्र और स्त्री धन आम हैं. सुप्रीम कोर्ट ने स्त्री धन को लेकर गुरुवार को एक अहम फैसले में कहा कि महिला का स्त्री धन उसकी पूर्ण संपत्ति है। जिसे अपनी मर्जी से खर्च करने का उसे पूरा अधिकार है। इस स्त्री धन में पति कभी भी हिस्सेदार नहीं बन सकता

विजय कुमार भारद्वाज/मुंबई

सुप्रीम कोर्ट का फैसला,स्त्री धन पर पति या ससुराल वालों का कोई हक नहीं। जानिए क्या-क्या आता है?

मुंबई: देश में हो रहे लोकसभा चुनाव 2024 के बीच कुछ शब्द बार-बार सुनाई दे रहे हैं, जिनमें मंगलसूत्र और स्त्री धन आम हैं. सुप्रीम कोर्ट ने स्त्री धन को लेकर गुरुवार को एक अहम फैसले में कहा कि महिला का स्त्री धन उसकी पूर्ण संपत्ति है। जिसे अपनी मर्जी से खर्च करने का उसे पूरा अधिकार है। इस स्त्री धन में पति कभी भी हिस्सेदार नहीं बन सकता, लेकिन संकट के समय पत्नी की रजामंदी से इसका इस्तेमाल कर सकता है।पति या ससुराल वालों का कोई हक नहीं। स्त्री धन में किसी महिला को बचपन से लेकर भी जो चीजें मिलती हैं, वह भी स्त्री धन के दायरे में आती हैं।इनमें नकदी से लेकर सोना, हर तरह के तोहफे, संपत्तियां और बचत भी शामिल हैं।आसान शब्दों में कहें तो जरूरी नहीं है कि शादी के दौरान या शादी के बाद मिले इस तरह के उपहारों को ही स्त्री धन माना जाए।जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने स्त्री धन को लेकर दायर एक वैवाहिक विवाद पर सुनवाई करते हुए कहा था कि महिला को अपने स्त्री धन पर पूरा अधिकार है, जिसमें शादी से पहले, शादी के दौरान या बाद में मिलीं हुईं सभी चीजें शामिल हैं, जैसे कि माता-पिता, ससुराल वालों, रिश्तेदारों और दोस्तों से मिले गिफ्ट, धन, गहने, जमीन और बर्तन आदि।क्या होता है स्त्री धन?ऐसे में ये समझना जरूरी हो जाता है कि आखिर स्त्री धन क्या है और इसके दायरे में क्या-क्या आता है? दरअसल स्त्री धन एक कानूनी टर्म है, जिसका जिक्र हिंदू धर्म में देखने को मिलता है। स्त्री धन का अर्थ है महिला के हक का धन, संपत्ति, कागजात और अन्य वस्तुएं। एक आम धारणा ये है कि महिलाओं को शादी के दौरान जो चीजें उपहार स्वरूप मिलती हैं, उन्हें ही स्त्री धन माना जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है।

AKHAND BHARAT NEWS

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