
” गंदगी मुक्त गंगा का आवाह्न ”
” दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती के दौरान नमामि गंगे ने स्वच्छता का दिलाया संकल्प ”
वाराणसी: रविवार को काशी के पौराणिक एवं प्राचीन दशाश्वमेध घाट का गंगा तट गंदगी मुक्त गंगा के आवाह्न से गूंज उठा । नमामि गंगे ने गंगोत्री सेवा समिति के तत्वाधान में होने वाली गंगा महा आरती के दौरान हजारों को स्वच्छता का संकल्प दिलाया। गंगा आरती में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा किनारे गंदगी न करने का संकल्प लिया। शपथ दिलाकर नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने बताया कि मां गंगा सनातनी संस्कृति की जीवन रेखा हैं । गंगा स्वयं में एक संस्कार हैं । भारतीय अर्थव्यवस्था का मेरुदंड और भारतीय अध्यात्म का सार हैं मां गंगा । गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा के तट पर अनेक तीर्थ हैं । 50 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका केवल गंगा के जल पर निर्भर है । 25 करोड़ लोग तो पूर्ण रूप से गंगाजल पर आश्रित हैं । गंगा आस्था ही नहीं आजीविका और केवल जल का ही नहीं, बल्कि जीवन का भी स्रोत हैं । हमारे लिए गंगा नदी की तरह नहीं, बल्कि एक जागृत स्वरूप हैं । गंगा हजारों वर्षों से अपने बच्चों को सुख और शांति दे रही हैं । मां गंगा भारत के 5 राज्यों से होकर बहती हैं और कई गांवों के लोग गंगा जल का उपयोग पेयजल सिंचाई और स्नान आदि के लिए करते हैं । गंगा कृषि, पर्यटन तथा उद्योगों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं तथा अपने तट पर बसे शहरों की जलापूर्ति भी करती है। गंगा के ऊपर बने पुल, बाँध और नदी परियोजनाएँ भारत की बिजली, पानी और कृषि से सम्बन्धित जरूरतों को पूरा करती हैं। गंगा, भारत की आर्थिक प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है । आइए , मां गंगा के आंचल को कचरे से बचाएं । गंगा का संरक्षण करें । आयोजन में प्रमुख रूप से नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला, गंगोत्री सेवा समिति के संस्थापक अध्यक्ष पं० किशोरी रमण दुबे , सचिव दिनेश शंकर दुबे , गंगा आरती अर्चक एवं हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे ।