एंबुलेंस फर्जीवाड़ा: अभी नहीं पूरी हो पाई जांच, साक्ष्य के आधार पर और गहराई तक जांच करेगी जांच टीम
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एंबुलेंस फर्जीवाड़ा: अभी नहीं पूरी हो पाई जांच, साक्ष्य के आधार पर और गहराई तक जांच करेगी जांच टीम
अंबेडकरनगर। बीते दिनों सरकारी एम्बुलेंस में कूटरचित ढंग से फर्जी मरीज को अस्पताल पहुचाने का मामला सामने आया था। एंबुलेंस अस्पताल से गांव, गांव से अस्पताल आती थी लेकिन एम्बुलेंस से मरीज गायब रहता था। मात्र कागज में मरीज को अस्पताल पहुंचाने का काम किया जाता था।
*कैसे होता है खेल*
एम्बुलेंस कर्मी द्वारा अपने जानने वाले किसी भी व्यक्ति के मोबाइल से 108 या 102 पर फोन करवाकर अपने आप को किसी गांव का बताते हुए घर मे किसी के बीमार होने की जानकारी दी जाती थी। इसके बाद एम्बुलेंस अस्पताल से रवाना होकर उस गांव तक जाती थी और उसके बाद कुछ देर रुकने के बाद फिर वापस अस्पताल तक खाली लौट आती थी। यह खेल लंबे समय से चल रहा है। मीडिया के जमीनी पड़ताल में इस बड़े भ्रष्टाचार का उजागर हुआ। जिसमे मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राजकुमार के द्वारा तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की गई थी। वही जब शनिवार को मीडिया कर्मी जांच रिपोर्ट के बारे में जानकारी करने का प्रयास मुख्य चिकित्सा अधिकारी से किया तो उनके द्वारा बताया गया कि अभी जांच पूरी नहीं हो पाई है मीडिया कर्मी के द्वारा उनको कुछ एम्बुलेंस के फर्जी मामले से संबंधित और भी साक्ष्य उपलब्ध कराया गया। इसके बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया की इसके आधार पर और गहराई तक अलग-अलग बिंदुओं पर जांच पड़ताल की जाएगी। दोषी पाए जाने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एंबुलेंस द्वारा फर्जी मरीज को अस्पताल पहुचाने के मामले में अगर सही ढंग से जांच हुई तो लंबा फर्जीवाड़ा निकलकर सामने आएगा। यह एक जनपद में नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में इस तर्ज पर फर्जीवाडा किया जा रहा है। जिसकी आँच राजधानी तक जा सकती हैं। कई करोड़ो रुपये का फर्जीवाडा निकलकर सामने आएगा। प्रत्येक एंबुलेंस चालक को प्रतिदिन तीस से चालीस मरीज अस्पताल पहुंचाने का टारगेट दिया जाता है। उसको उन्हें किसी तरीके से पूरा करना ही रहता है फिर हाल या जांच कितने प्रभावी ढंग से हो पाएगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा। क्योंकि जनपद में लगातार भ्रष्टाचार के मामले सामने आते हैं उसमें जांच टीम गठित की जाती है और जांच होती रहती है। जांच कब पूरी होगी इसका कोई पता नहीं रहता है।अभी हाल ही में एक धान के बोरे के भुगतान से संबंधित मामला मीडिया की सुर्खियों में बहुत तेजी से उछला जिसके बाद जांच प्रक्रिया बहुत तेज चल रही थी लेकिन अभी तक वह जांच प्रक्रिया करीब दो माह से ज्यादा का समय बीत गया पूरा नहीं हो पाया है। इससे लोगों का विश्वास जांच टीम से भी उठने लगा है।आखिर मामलो में सच्चाई क्या रहती है लोग टकटकी लगाए बैठे रहते है। धीरे-धीरे मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है।