
मऊगंज जिला मुख्यालय 15 किलोमीटर दूर एवं नईगढ़ी से 3 किलोमीटर की दूरी पर मां अष्टभुजा का मंदिर है। प्रचलित कथा के अनुसार नईगढ़ी के राजा जहां पर अष्टभुजा माता का मंदिर है वहां पर किला बनाना चाहते थे। उस समय वहां के पौराणिक पंडित को बुलाकर राजा के द्वारा पूछा जाता है कि किला कहां पर बनवा ले। तो पंडित के द्वारा बताया गया कि कहीं पर भी किला बनवा लीजिए जमीन हर जगह की अच्छी है। नईगढ़ी के राजा वहां पर मजदूर लेकर पहुंचे वहां पर खुदाई करवाने लगे। तो एक मजदूर को प्यास लगी तो वह बोला पानी पीकर आते हैं। पानी लेने जल के झरने में गया। एक लोटा पानी लेकर आया और पानी पिया शेष पानी गिराने लगा तो जैसे ही पानी धरती पर गिरा तो अग्नि प्रज्वलित हुई। तो वह मजदूर बेसुध होकर गिर पड़ा। वहां से राजा और मजदूर चले गए। लेकिन वह वहीं पर रात भर पड़ा रहा। दूसरे दिन सुबह पता किया तो वह मजदूर वहीं पड़ा था। उसको घर लेकर आते हैं। राजा ने सोचा यह वहां पड़ा था तो आज काम नहीं लगाते हैं। रात हुई तू राजा को स्वप्न हुआ कि यहां पर किला मत बनवाइए। माता बोली हम अष्टभुजा है। हम दुर्गा के रूप हैं यदि आपको देखना है तो जहां पानी गिरा है वहां अष्ट अंगुल की मूर्ति है और आठ भुजा है। वहां पर राजा ने खुदाई करवाई तो अष्टभुजा माता की मूर्ति मिली। वहां से मूर्ति को लेजाना चाहते थे और कहीं अन्यत्र मंदिर बनाना चाहते थे लेकिन अष्ट अंगुल की मूर्ति इतनी भारी हो गई की वह वहां से नहीं ले जा सके। रात को राजा को स्वप्न हुआ कि वहीं पर हमारा मंदिर बना दो एवं पूजा अर्चना करो। अपनी गढ़ी यहां से 3 किलोमीटर दूर बनवा लो। तो माता से राजा ने स्वप्न में ही पूछा कि हम आपके ऊपर कैसे विश्वास करें। तो अष्टभुजा माता ने कहा कि कल सुबह जब जाएंगे तो आपको दो लोग मिलेंगे। एक कुत्ता और दूसरा खरगोश। जब वहां पर प्रार्थना करोगे और कहोगे की माता रानी हम कहां पर गढ़ी बना ले तो दोनों तुम्हारे साथ चल देगे। अगले दिन राजा वहां पर जाकर नारियल फोड़ा और बोले की माता रानी हम कहां पर गढ़ी बना लें तो वहां पर कुत्ता और खरगोश दोनों थे। जब वे चलने लगे तो कुत्ता और खरगोश चल दिए। जहां माता की मूर्ति है वहां से 3 किलोमीटर दूरी पर कुत्ता जाकर के बैठ गया और खरगोश परिक्रमा किया। तो राजा वहां पर गढ़ी का निर्माण कर दिया। वहां एक गढ़ी बनी हुई थी राजा ने दूसरी गढ़ी का निर्माण कराया तब से गढ़ी का नाम नईगढ़ी नाम पड़ा। अष्टभुजा मंदिर के आसपास पहले काफी जंगल हुआ करता था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अष्टभुजा माता से मन्नतें मांगने पर सारी मन्नते पूरी होती हैं। यहां पर बहुत दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और मातारानी से अपनी मन्नत मांगते हैं।