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महान अमर क्रांतिकारी श्री चन्द्रशेखर महान आजाद का 93 वां शहीद दिवस नम आंखो से मनाया, मेघवाल

कहा ’’दुश्मन की गोलियो का सामना हम करेंगे, आजाद है आजाद ही रहेंगे।’’आजाद साहब को किया

सिरोही से जालम सिंह की रिपोर्ट सिरोही✍️

दिनांक:- 27.02.2024

महान अमर क्रांतिकारी श्री चन्द्रशेखर महान आजाद का 93 वां शहीद दिवस नम आंखो से मनाया, मेघवाल ने कहा ’’दुश्मन की गोलियो का सामना हम करेंगे, आजाद है आजाद ही रहेंगे।’’आजाद साहब को किया कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से नमन

अखिल भारतीय ‘‘भारत-रत्न‘‘ नेताजी सुभाषचन्द्र बोस राष्ट्रीय सेवा समिति मुख्यालय सिरोही एवं केन्द्र सरकार, राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन सिरोही एवं नेताजी फाउण्ड़ेशन के संयुक्त तत्वावधान में आजादी का अमृत महोत्सव की श्रृंखला के अन्तर्गत ’’दुश्मन की गोलियो का सामना हम करेंगे, आजाद है आजाद ही रहेंगे।’’ महान स्वतंत्रता सैनानी राष्ट्रभक्त श्री चन्द्रशेखर आजाद साहब का 93 वा बलिदान दिवस आदर्श विद्या मंदिर माध्यमिक विद्यालय गांधीनगर आबूरोड़ में नम आंखो से विनम्र सच्ची श्रद्धांजलि एवं श्री आजाद साहब पर परिलक्षित वार्ता कार्यक्रम का आयोजन आज दिनंाक 27.02.2024 को किया गया। इस राष्ट्रीय कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में नेताजी फाउण्ड़ेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कार्यक्रम प्रभारी अधिकारी लुम्बाराम मेघवाल एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता के रूप में आदर्श विद्या मंदिर के संस्था प्रधान बलदेव कुमार मंच पर मौजूद थे। सभी अतिथियों ने बलिदान दिवस पर आजाद साहब की प्रतिमा पर दीप प्रज्जवलित व माल्यार्पण कर कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से उनका आभार प्रकट कर सैल्यूट किया गया एवं दो मिनट का मौन धारण कर उन्हें सच्ची विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस मौके पर इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए नेताजी फाउण्ड़ेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कार्यक्रम प्रभारी अधिकारी श्री लुम्बाराम मेघवाल ने सैकड़ो उपस्थित जन समुदाय में चन्द्रशेखर आजाद साहब के जीवन दर्शन पर अपने उद्बोधन में युवाओं के बीच अपने विचारो को साझा करते हुए कहा कि भारत को स्वतंत्रता दिलाने हेतु प्राण न्यौछावर करने वाले महान क्रांतिकार श्री चन्द्रशेखर आजाद साहब का बपचन का नाम सीताराम तिवारी था उनके बारे में जितना लिखा जाये उतना कम पड़ेगा। वे ऐसे सैनानिक थे जो अंग्रेजो के हाथों कभी भी जीवित गिरफ्तार न होने की अपनी प्रतिज्ञा पर हमेशा अडीग रहे और इसी के चलते वे न केवल पूरे विश्व में विख्यात हुए बल्कि उनका नाम भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो गया। श्री चन्द्रशेखर आजाद अपने आपमें एक आन्दोलनकारी थे उनका देश के प्रति निष्ठा, समर्पण बिल्कुल निःस्वार्थ रहा। यहीं कारण है कि आज भी देश के युवाओं को प्रभावित और प्रेरित करते है। हालांकि वे अंग्रेजो को भारत से भगा नहीं पाये परन्तु उनके बलिदान में लाखों नवयुवको को आजादी के आन्दोलन में उतार दिया। यहीं कारण है उन्हें देशभक्ति का प्रतीक मानकर आज भी हम सभी उनका नाम बड़े आदर व सम्मान के साथ लेते है। आजाद साहब आज भी भारत के दिलो में जिन्दा है।

श्री मेघवाल ने उपस्थित समुदाय को आगे कहा कि आजाद साहब की माता ने संस्कृत का ज्ञान प्राप्त करने हेतु काशी विद्यापीठ भेजा लेकिन वहां से इस तरह राष्ट्रवाद से परिचित हुए कि:- गांधीजी के असहयोग आन्दोलन से वे जुड गये, वर्ष 1921 मंे गांधीजी के असहयोग आन्दोलन में भाग लेने पर उनको अंग्रेजी हुकुमत ने हिरासत में ले लिया और ब्रिटिश न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उनसे सवाल जवाब किये जज साहब ने पूछा आपका नाम क्या हैं ? जो आजाद साहब बोले मेरा नाम आजाद है। जज ने आगे पुछा आपके पिता का नाम क्या हैं? आजाद साहब बोले स्वतंत्रता फिर जज ने पुछा आपकी माँ का नाम क्या हैं ? आजाद साहब ने तपाक से जवाब दिया भारतमाता फिर जज ने पुछा आपका घर कहा है ? आजाद साहब बोले जैल मेरा घर हैं। ये उद्घोष सुनकर जज हैरान रह गया उपरोक्त घटना के बाद से ही पंड़ित रामप्रसाद बिस्मिल, भगतसिंह ने चन्द्रशेखर आजाद के नाम से पुकारना प्रारम्भ किया और कालान्तर में वे चन्द्रशेखर आजाद के नाम से प्रसिद्ध हो गये। इस प्रकार महान बलिदानी श्री चन्द्रशेखर आजाद साहब हमें त्याग, वीरता व बहादूरी की याद दिलाते है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मेघवाल ने आगे बताया कि वर्ष 1922 में अचानक गांधीजी ने चौरा-चोरी काण्ड़ के बाद असहयोग आन्दोलन को वापस ले लिया इस बदलाव के कारण ये हिन्दुस्तान रिपब्लिक ऐसोशियेशन के सक्रिय सदस्य बनकर क्रांतिकारी गतिविधियों में आजाद साहब जुड गये। इसके बाद आजाद ने अन्य क्रांतिकारियों कोे लेकर हथियार खरीदने के वास्ते सरकारी खज़ानों को लुटना प्रारम्भ किया लेकिन वे इस लुट में महिलाओं का विशेष ख्याल रखा करते थे उनके एक सहपाठी ने लुट की इस अन्जाम में एक महिला पर बुरी दृष्टि रखने से आजाद साहब को गुस्सा आया और मौके पर ही आजाद साहब ने अपने साथी को गोलियो से भुन ड़ाला इस प्रकार वे महिला हितो के प्रति हमेशा वफादार रहे और महिला हितो पर बल दिया। इस मौके पर नेताजी फाउण्ड़ेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कार्यक्रम प्रभारी अधिकारी लुम्बाराम मेघवाल ने विद्यालय के संस्था प्रधान बलदेव कुमार को प्रशस्त्रि पत्र व स्मृति चिन्ह प्रदान कर इस मौके के पर विद्यालय का मनोबल बढाया।

इस मौके पर विद्यालय के संस्था प्रधान बलदेव कुमार जी ने भी आजाद साहब पर अपना उद्बोधन देकर युवा पीढ़ी में राष्ट्रभक्ति के जज्बे के साथ उनके आदर्शो को जीवन में उतारने का आव्हान किया।

इस मौके पर नेताजी फाउण्ड़ेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष लुम्बाराम मेघवाल, संस्था प्रधान बलदेव कुमार, आदर्श विद्या मंदिर अभिभावक विद्यालय समिति के उपाध्यक्ष कांतिलाल लोहार, अध्यापक महेन्द्र राजपुरोहित, मगनलाल मीणा, महेश बामणीया, नीतु त्रिवेदी, मनोज कुमार, मेहुल कुमार, रमा अरोडा, वीना शर्मा, पुजा राठौड़, रूपाराम, अर्चना राठौड़, भूपेन्द्र कुमार, रेणुका गोस्वामी, भाविका कुमारी, रीना जोनवाल, शीतल कंुवर, शर्मिष्ठा बेन एवं विद्यालय अभिभावक संघ के गणमान्य नागरिक, स्कूली छात्र-छात्रओं व सैकड़ो प्रबुद्ध नागरिको ने अपनी हिस्सेदारी निभाई।

जय हिन्द्।सिरोही से जालम सिंह की रिपोर्ट सिरोही✍️
दिनांक:- 27.02.2024
महान अमर क्रांतिकारी श्री चन्द्रशेखर आजाद का 93 वां शहीद दिवस नम आंखो से मनाया, मेघवाल ने कहा ’’दुश्मन की गोलियो का सामना हम करेंगे, आजाद है आजाद ही रहेंगे।’’आजाद साहब को किया कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से नमन
अखिल भारतीय ‘‘भारत-रत्न‘‘ नेताजी सुभाषचन्द्र बोस राष्ट्रीय सेवा समिति मुख्यालय सिरोही एवं केन्द्र सरकार, राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन सिरोही एवं नेताजी फाउण्ड़ेशन के संयुक्त तत्वावधान में आजादी का अमृत महोत्सव की श्रृंखला के अन्तर्गत ’’दुश्मन की गोलियो का सामना हम करेंगे, आजाद है आजाद ही रहेंगे।’’ महान स्वतंत्रता सैनानी राष्ट्रभक्त श्री चन्द्रशेखर आजाद साहब का 93 वा बलिदान दिवस आदर्श विद्या मंदिर माध्यमिक विद्यालय गांधीनगर आबूरोड़ में नम आंखो से विनम्र सच्ची श्रद्धांजलि एवं श्री आजाद साहब पर परिलक्षित वार्ता कार्यक्रम का आयोजन आज दिनंाक 27.02.2024 को किया गया। इस राष्ट्रीय कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में नेताजी फाउण्ड़ेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कार्यक्रम प्रभारी अधिकारी लुम्बाराम मेघवाल एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता के रूप में आदर्श विद्या मंदिर के संस्था प्रधान बलदेव कुमार मंच पर मौजूद थे। सभी अतिथियों ने बलिदान दिवस पर आजाद साहब की प्रतिमा पर दीप प्रज्जवलित व माल्यार्पण कर कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से उनका आभार प्रकट कर सैल्यूट किया गया एवं दो मिनट का मौन धारण कर उन्हें सच्ची विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस मौके पर इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए नेताजी फाउण्ड़ेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कार्यक्रम प्रभारी अधिकारी श्री लुम्बाराम मेघवाल ने सैकड़ो उपस्थित जन समुदाय में चन्द्रशेखर आजाद साहब के जीवन दर्शन पर अपने उद्बोधन में युवाओं के बीच अपने विचारो को साझा करते हुए कहा कि भारत को स्वतंत्रता दिलाने हेतु प्राण न्यौछावर करने वाले महान क्रांतिकार श्री चन्द्रशेखर आजाद साहब का बपचन का नाम सीताराम तिवारी था उनके बारे में जितना लिखा जाये उतना कम पड़ेगा। वे ऐसे सैनानिक थे जो अंग्रेजो के हाथों कभी भी जीवित गिरफ्तार न होने की अपनी प्रतिज्ञा पर हमेशा अडीग रहे और इसी के चलते वे न केवल पूरे विश्व में विख्यात हुए बल्कि उनका नाम भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो गया। श्री चन्द्रशेखर आजाद अपने आपमें एक आन्दोलनकारी थे उनका देश के प्रति निष्ठा, समर्पण बिल्कुल निःस्वार्थ रहा। यहीं कारण है कि आज भी देश के युवाओं को प्रभावित और प्रेरित करते है। हालांकि वे अंग्रेजो को भारत से भगा नहीं पाये परन्तु उनके बलिदान में लाखों नवयुवको को आजादी के आन्दोलन में उतार दिया। यहीं कारण है उन्हें देशभक्ति का प्रतीक मानकर आज भी हम सभी उनका नाम बड़े आदर व सम्मान के साथ लेते है। आजाद साहब आज भी भारत के दिलो में जिन्दा है।
श्री मेघवाल ने उपस्थित समुदाय को आगे कहा कि आजाद साहब की माता ने संस्कृत का ज्ञान प्राप्त करने हेतु काशी विद्यापीठ भेजा लेकिन वहां से इस तरह राष्ट्रवाद से परिचित हुए कि:- गांधीजी के असहयोग आन्दोलन से वे जुड गये, वर्ष 1921 मंे गांधीजी के असहयोग आन्दोलन में भाग लेने पर उनको अंग्रेजी हुकुमत ने हिरासत में ले लिया और ब्रिटिश न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उनसे सवाल जवाब किये जज साहब ने पूछा आपका नाम क्या हैं ? जो आजाद साहब बोले मेरा नाम आजाद है। जज ने आगे पुछा आपके पिता का नाम क्या हैं? आजाद साहब बोले स्वतंत्रता फिर जज ने पुछा आपकी माँ का नाम क्या हैं ? आजाद साहब ने तपाक से जवाब दिया भारतमाता फिर जज ने पुछा आपका घर कहा है ? आजाद साहब बोले जैल मेरा घर हैं। ये उद्घोष सुनकर जज हैरान रह गया उपरोक्त घटना के बाद से ही पंड़ित रामप्रसाद बिस्मिल, भगतसिंह ने चन्द्रशेखर आजाद के नाम से पुकारना प्रारम्भ किया और कालान्तर में वे चन्द्रशेखर आजाद के नाम से प्रसिद्ध हो गये। इस प्रकार महान बलिदानी श्री चन्द्रशेखर आजाद साहब हमें त्याग, वीरता व बहादूरी की याद दिलाते है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मेघवाल ने आगे बताया कि वर्ष 1922 में अचानक गांधीजी ने चौरा-चोरी काण्ड़ के बाद असहयोग आन्दोलन को वापस ले लिया इस बदलाव के कारण ये हिन्दुस्तान रिपब्लिक ऐसोशियेशन के सक्रिय सदस्य बनकर क्रांतिकारी गतिविधियों में आजाद साहब जुड गये। इसके बाद आजाद ने अन्य क्रांतिकारियों कोे लेकर हथियार खरीदने के वास्ते सरकारी खज़ानों को लुटना प्रारम्भ किया लेकिन वे इस लुट में महिलाओं का विशेष ख्याल रखा करते थे उनके एक सहपाठी ने लुट की इस अन्जाम में एक महिला पर बुरी दृष्टि रखने से आजाद साहब को गुस्सा आया और मौके पर ही आजाद साहब ने अपने साथी को गोलियो से भुन ड़ाला इस प्रकार वे महिला हितो के प्रति हमेशा वफादार रहे और महिला हितो पर बल दिया। इस मौके पर नेताजी फाउण्ड़ेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कार्यक्रम प्रभारी अधिकारी लुम्बाराम मेघवाल ने विद्यालय के संस्था प्रधान बलदेव कुमार को प्रशस्त्रि पत्र व स्मृति चिन्ह प्रदान कर इस मौके के पर विद्यालय का मनोबल बढाया।
इस मौके पर विद्यालय के संस्था प्रधान बलदेव कुमार जी ने भी आजाद साहब पर अपना उद्बोधन देकर युवा पीढ़ी में राष्ट्रभक्ति के जज्बे के साथ उनके आदर्शो को जीवन में उतारने का आव्हान किया।
इस मौके पर नेताजी फाउण्ड़ेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष लुम्बाराम मेघवाल, संस्था प्रधान बलदेव कुमार, आदर्श विद्या मंदिर अभिभावक विद्यालय समिति के उपाध्यक्ष कांतिलाल लोहार, अध्यापक महेन्द्र राजपुरोहित, मगनलाल मीणा, महेश बामणीया, नीतु त्रिवेदी, मनोज कुमार, मेहुल कुमार, रमा अरोडा, वीना शर्मा, पुजा राठौड़, रूपाराम, अर्चना राठौड़, भूपेन्द्र कुमार, रेणुका गोस्वामी, भाविका कुमारी, रीना जोनवाल, शीतल कंुवर, शर्मिष्ठा बेन एवं विद्यालय अभिभावक संघ के गणमान्य नागरिक, स्कूली छात्र-छात्रओं व सैकड़ो प्रबुद्ध नागरिको ने अपनी हिस्सेदारी निभाई।
जय हिन्द्।

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