
झारखंड सरकार द्वारा किसानों के लिए सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा के तहत बिरसा सिंचाई कूप संवर्धन योजना चलाई जा रही है. इस योजना के जरिए सरकार का महत्वाकांक्षी लक्ष्य सिंचाई सुविधाओं के विस्तार का है. लेकिन दुमका जिले के रामगढ़ प्रखंड में मनरेगा के तहत क्रियान्वित हो रहे बिरसा कृषि सिंचाई संवर्धन कूप योजना के तहत निर्माणाधीन सिंचाई कूपों निर्माण में अनियमितता रुकने का नाम ही नहीं ले रही है. सरकार के मॉडल एस्टीमेट के अनुसार इन सिंचाई कूपों का निर्माण 75 बी चिमनी ईंट से कराया जाना है. लेकिन बिचौलिए बांग्ला भट्ठा वाले स्थानीय घटिया क्वालिटी के ईटों से कूप का निर्माण कर रहे हैं. बिचौलियों की मनमानी पर प्रशासनिक अधिकारियों का कोई अंकुश नहीं है. मामला पथरिया पंचायत के जमबारी गांव का है. वित्तीय वर्ष 2022–2023 गुपीन सोरेन के नाम से सिंचाई कूप की स्वीकृति विभाग द्वारा दी गई थी. योजना की प्रकलित राशि 396000 रुपये है. इसके निर्माण में बिचौलिए द्वारा निर्धारित मानकों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है. कूप निर्माण में चिमनी ईंट की बजाय बांग्ला भट्ठे के घटिया गुणवत्ता वाले ईंट लगाए जा रहे हैं. जिसके कारण इन सिंचाई कूपों के धंसने का खतरा उत्पन्न हो गया है. बिचौलियों की मनमानी एवं प्रशासनिक अधिकारियों के उदासीन रवैये के कारण सिंचाई सुविधाओं में विस्तार की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना रामगढ़ प्रखंड में दम तोड़ती प्रतीत हो रही है.