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ग्रामीण क्षेत्रों के घरो में शुद्ध पेयजल के लिए पीएचडी के तहत लगाये जाने वाली जलमीनार योजना में भारी भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ है

संवाददाता  अखिलेश विश्वकर्मा का रिपोर्ट गढ़वा

भवनाथपुर  से

ग्रामीण क्षेत्रों के घरो में शुद्ध पेयजल के लिए पीएचडी के तहत लगाये जाने वाली जलमीनार योजना में भारी भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ है। मामला कैलान पंचायत अंतर्गत कोणमंडरा गांव के मुरार तथा अधेलिया टोला का है।

यहां विभाग के सरकारी दस्तावेजो में लाखो रूपये खर्च कर ग्रामीणों के घरों में शुद्ध पेलजल उपलब्ध कराये जाने की दावा किया जा रहा है, परंतु इसके विपरीत यहां के ग्रामीण पानी की बूंद बूंद के लिए तरस रहे है। मुरार टोला में संवेदक द्वारा बिना एक भी जलमीनार लगाये ही टोले के सभी घरो में नल का कनेक्शन कर सरकारी राशि का गबन कर दिया गया है। जलमीनार योजना में बरती गई भ्रष्टाचार का आलम यह है, इस भीषण गर्मी में मुरार टोला के ग्रामीण पानी की बूंद बूंद के लिए तरस रहे है।उक्त टोला के ग्रामीण गीता कुमारी, लालमुनी सिंह, जयराम राम, अजय सिंह, लालती देवी, कमोदा देवी, रामकिशुन राम, बिनोद सिंह, देवंती देवी, ललिता देवी ने बताया कि यहां 20 घर है, जिसमें ढ़ाई सौ आबादी निवास करते है। विगत डेढ़ वर्ष पूर्व सभी घरो में सिर्फ नल लगाकर छोड़ दिया गया है। जबकि पेयजलापूर्ति हेतु लगाये जाने वाली सोलर जलमीनार लगा ही नही है। इस भीषण गर्मी में ग्रामीणो को पीने के पानी के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है। अगर किसी के घर में शादी विवाह होता है, तो उस घर के लोग भाड़े पर टैंकर से पानी मंगाकर किसी तरह कार्य करते है। अधेलिया टोला के सुनीता देवी, रुदा देवी, उषा देवी, अमेरिका उरांव, चंद्रिका उरांव, विनीता कुमारी, अनीता देवी, कौशल्या देवी, आशा देवी, जमुनी देवी, चांदनी कुमारी आदि ने बताया कि यहां 25 घर है, जहां दो सौ ग्रामीण निवास करते है।

 

 

 

संवेदक द्वारा बोरिंग तो कराया गया, लेकिन उसमे पानी निकला ही नही। संवेदक द्वारा उसी पानी विहीन बोर में जलमीनार लगाये जाने का ग्रामीणों द्वारा विरोध किया गया तो संवेदक ने आश्वासन दिया था कि फिर से बोर कराई जायेगी, परंतु आज तक बोर कराकर हर घर में पानी नही पंहुचाया जा सका है।

 

चुआंड़ी से प्यास बुझाने को विवश अधेलिया के ग्रामीण

 

ग्रामीणों ने बताया कि संवेदक द्वारा लगाये गए जलमीनार से पानी निकलता ही नहीं है। घरेलु कार्यो के लिए आधा किमी दूर चापाकल से पानी ढोकर लाते है, तो काम चलता है। बताया कि ज्यादातर ग्रामीण पहाड़ के समीप वर्षो पूर्व बनाये गए चुआंड़ी से पानी लाकर अपना काम चलाते है, लेकिन इस गर्मी में चुआंड़ी का पानी भी सूखने लगा है, जिससे ग्रामीणों के साथ साथ मवेशियों को भी पानी के लिए भटकना पड़ रहा है।

AKHAND BHARAT NEWS

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