
*ग्राम सचिवालय महज शोपीस बन कर रह गये*
अम्बेडकरनगर
जनपद में बने ग्राम सचिवालय अपनी हालात पर रो रहे हैं और ना ही रखरखाव के लिये कोई कर्मचारी ग्राम सचिवालय में देखरेख के अभाव में घास फूस उग चूकें हैं। साथ ही कायाकल्प तो कोसों दूर है। प्रदेश सरकार की ग्रामीण क्षेत्रों में एक ही छत के नीचे सभी तरह की सुविधाएं देने के लिए बनाए ग्राम सचिवालय आज बिना उपयोग के सफेद हाथी साबित हो रहे हैं। अधिकांश ग्राम सचिवालय में ना तो कोई कर्मचारी बैठता है और ना ही कोई काम होता है। ऐसे मेें लाखों खर्च करने के बाद भी वहां रखा सामान धूल फांक रहा है। प्रदेश सरकार ने ग्रामीणों को छोटे-छोटे कार्यों के लिए जिला सचिवालय जाने के झंझट से मुक्ति दिलाने के लिए ग्रामीण अंचलों में ग्राम सचिवालय बनाया गया। इसमें तीन से चार ग्राम पंचायतों का एक कलस्टर बनाया गया। प्रदेश सरकार ने ग्राम सचिवालय खोल तो दिए लेकिन व्यवस्थित ढांचा नहीं होने के कारण ये ग्राम सचिवालय खुलने के साथ ही बंद होते चले गए। हालांकि इसके लिए इनमें कंप्यूटर, फर्नीचर सहित अन्य सामान भी रखा गया। नेट कनेक्शन भी दिया। इनका अधिकांश जगह उपयोग नहीं हो पा रहा है।ग्राम सचिवालयों में एक मीटिंग हॉल, पटवारी कक्ष, ग्राम सचिव कक्ष अन्य सुविधाएं भी प्रदान की गई हैं। ग्राम सचिवालय के तहत ई-सेवा के माध्यम से अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र, पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्र, अन्य पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्र, विशेष पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्र, विमुक्त जाति प्रमाण पत्र, आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्र, रिहायशी प्रमाण पत्र, बिजली बिल इत्यादि सेवाएं मिलती हैं। सरकार के निर्देशानुसार ग्राम सचिवालय में सोमवार व मंगलवार को पटवारी, बुधवार को ग्राम सचिव, पूरे सप्ताह वीएलसी तथा महीने के आखिरी बुधवार को डिपो होल्डर को ग्राम सचिवालय में बैठना रहता है। इसमें डोमीसाइल, पहचान पत्र, जाति प्रमाणपत्र, आधार व कार्ड वोटिंग कार्ड आदि के कार्य होने थे।सचिवालय मे ग्रामीणों के कार्य के लिये ग्राम सहायक भी तैनात किया गया, अधिकांश ग्राम सचिवालय में काम के नाम सचिवालय मे तैनात ग्राम सहायक कार्यालय से हमेशा नदारद रहते है। मिली जानकारी के अनुसार अधिकांश ग्राम सचिवालय कार्यालय के खर्च का भी हर माह सरकारी भुगतान हो रहा है, लेकिन कार्यालय मे ग्रामीणों का एक भी काम नही हो रहा है। जिसके चलते ग्रामीणों को भारी समस्या का सामना करना पड रहा है।