काल्पनिक आनंद का काल्पनिक मार्ग- डॉ कंचन जैन
शिवानी जैन एडवोकेट की रिपोर्ट

काल्पनिक आनंद का काल्पनिक मार्ग- डॉ कंचन जैन
आधुनिकता के होड़ में तनाव ग्रस्त जीवन में सुकून की तलाश में अपने मस्तिष्क में अनावश्यक कहानियाँ गढ़ने (काल्पनिकता) में जीवन जीना शुरू कर देने वाले व्यक्ति मानसिक विकार से ग्रसित हो जाते हैं। उन्हें काल्पनिक कथाओं में आनंद आने लगता है। जैसे कि एक फिल्म देखना। वह जीवन को दिखावटी तौर पर जीना आरंभ कर देते हैं जिससे कि वह वह दिख सके जो वह दिखने की कल्पना करते हैं। ऐसे व्यक्तियों का जीवन एक काल्पनिक अंधेरे में इस तरह खो जाता है, जिसमें वह अपने वास्तविक जीवन के उजाले को खो देते हैं। ऐसे व्यक्ति स्वार्थ को धीरे-धीरे आत्मसात कर लेते हैं। उदाहरण के तौर पर एक चित्रकार जब एक पेंटिंग को बनाने की कल्पना करता है तो वह उसकी आकृति उसमें भरे जाने वाले रंग इत्यादि को अपने मस्तिष्क में साकार करता है। यह एक सकारात्मक प्रक्रिया है जोकि किसी भी कार्य को करने से पूर्व मनुष्य करता है। परंतु काल्पनिक जीवन जीने वाले व्यक्ति एक ऐसे जीवन की कल्पना करते हैं जो की है ही नहीं वह सिर्फ कल्पना शक्ति के माध्यम से एक नकारात्मक परिवेश को गढ़ लेते हैं और उसी के अनुरूप अपने जीवन को जीना चाहते हैं। अपने जीवन में तनाव को इतना हावी न होने दें कि आप अपने जीवन की वास्तविक आधार को खो दें। स्वयं की अस्तित्व एवं वास्तविक दृष्टिकोण को स्वीकार करें जिससे कि आप एक सुखद जीवन का आनंद ले सकें।