भावना में दिखाई देती है मनुष्य के व्यवहार की झलक -, उपेंद्र रितुरगं
जौनपुर।शाहगंज भावना में निकल आता है प्रेम का उदगार। भगवान भाव के भुखे है भाव से मिलना उनका अपना स्वभाव सदैव रहा है। मनुष्य मानव जीवन शाश्वत सत्य की राह पर चलने के लिए और दूसरे का सहयोग करते हुए मानवता का व्यवहार किया करता है।मानव जीवन को हमेशा उदार सरल सहज और स्वाभाविक रूप से निम्न रहना चाहिए।हम कर्म की भावना के साथ किसी से जुड़ते हैं और उसका सहयोग हमारी प्राथमिकता रहतीं हैं। व्यवहारिक रूप से हम मिलनसार प्रावृति के होते हैं। जिसके अन्दर यह वास कर जाता है उसको भगवान का मिलने का मार्ग प्रशस्त हो जाता है उसे किसी भी संसारिक मोह-माया से कोई नाता नहीं रह जाता उसे किसी, में भेदभाव भी,नहीं दिखाई देता। हमारे कहने का आशय है कि हमारे मन से निकलने वाले भाव हमारी सोच और व्यवहार को प्रकट किया करते हैं भावना ऐसी होनी चाहिए कि दुनिया के किसी कोने में जाकर भी दूसरों से आदर मिले सम्मान प्रेम और अपनापन दिखे।जो जो हम प्रकट करते हैं उसी का प्रभाव हमारे ऊपर दिखाई देता है जो किया जाता है उसका सीधा जुड़ाव हम स्वयं से महसूस करते हैं। क्यों कि अक्सर यह कहां जाता है कि जो जैसा करेगा वैसा ही उसको मिलेगा।। भाव ऐसा हो कि हम अपने प्रति जैसे व्यवहार की आशा दूसरों से करते हैं वैसा ही हम सबके प्रति करने में सक्षम हो।अन्त में इसका सारांश यही है कि भावना से निकल आता है प्रेम का उदगार और प्रेम ही मिल सकता है सारा संसार।। निम्न बातें बाल संगोष्ठी में उपेंद्र रितुरगं ने कही साथियों के साथ चर्चा है बिषय में अपने मन की सुन्दर प्रस्तुति उन्होंने प्रकट कि जहां राजकुमार अश्क सुरेंद्र बहादुर सिंह संजय सिंह पत्रकार आदि उपस्थित रहे।