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सर्टिफिकेट बांटने वाले आप कौन, क्या फेमस होने के लिए देते हैं विवादित बयान? देवकीनंदन ठाकुर ने दिया जवाब

प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर टीवी9 के फाइव एडिटर्स शो में पहुंचे. यहां इन्होंने सनातन बोर्ड के गठन, हिंदू धर्म और धर्म संसद पर अपनी राय रखी. देवकीनंदन ठाकुर ने एक बार फिर जोर देते हुए कहा कि सनातन बोर्ड का गठन होना चाहिए.

सर्टिफिकेट बांटने वाले आप कौन, क्या फेमस होने के लिए देते हैं विवादित बयान? देवकीनंदन ठाकुर ने दिया जवाब

प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर इन दिनों सनातन बोर्ड के गठन की मांग को लेकर सुर्खियों में हैं. देवकीनंदन इसको लेकर 16 नवंबर को दिल्ली में एक धर्म संसद भी आयोजित कर रहे हैं. इस बीच, वे टीवी9 के फाइव एडिटर्स शो में पहुंचे. यहां उनका 5 संपादकों से सामना हुआ. इस दौरान उन्होंने सनातन बोर्ड के गठन, हिंदू धर्म और धर्म संसद पर अपनी राय रखी. देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि मेरा मानना है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान से सारे हिंदू बुला लेने चाहिए. जो गैर भारतीय हैं, जो जबरदस्ती 8-9 करोड़ इस देश में रह रहे हैं. उन्हें उनके देश भेज देना चाहिए, जिससे के सारे हिंदू सुरक्षित रहें.

टीवी 9 डिजिटल के समूह संपादक पाणिनि आनंद ने सवाल पूछा, उन्होंने कहा- ‘लोग नास्तिक रहें, आस्तिक रहें, साकार रहें, निराकार रहें, निर्गुण रहें, सगुण रहें, वो ठाकुर जी को पूजें या अपने यहां के पीठा बाबा को पूजें, वह किसी को न पूजें या वो पशु रूप में किसी को भगवान मानें. इस पूरे जम्बू द्वीप में किसी को यह अधिकार नहीं है कि वह सर्टिफिकेट बांटे कि लोग किसकी पूजा करें. हिंदू धर्म की रचना ऐसे ही रही है. जब आप यह कहते हैं कि यहां ये हो रहा है, वहां वो हो रहा है, यह बातें इसलिए तो नहीं हो रही हैं कि इसके पीछे प्रचलित या प्रचारित होने की व्याकुलता है, जिसमें आप विवादों को हमेशा उठाना चाहते हैं. आप मथुरा के पेड़े नहीं छूते, आपने बालाजी की बात की, आप भारत में बलात्कार हो रहे हैं, उन पर बात नहीं करते, उत्तर प्रदेश समेत भारत के राज्यों में गायें मर रही हैं गोशालाओं में और सड़कों पर उसकी चर्चा नहीं हो रही है, ग्रामीण जीवन तबाह हो रहा है, जिस तरह का फर्टिलाइजर, जिस तरीके का पेस्टिसाइड इस्तेमाल किया जा रहा है, इस पर आंदोलन नहीं हो रहा है, हिंदू खाएगा तो यही ना, हिंदू पाएगा तो यही ना.’

देवकीनंदन ठाकुर बोले- ‘जिसे वेद अस्वीकार करे, वह अधर्म है’

इस सवाल के जवाब में देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि सनातन धर्म में दोनों ही भावों की प्रधानता है. निर्गुण निराकार की और सगुण साकार की. हम निराकार को भी मानते हैं. यह वेद के अनुसार है. जिसे वेद स्वीकार कर ले, वह धर्म है. जिसे वेद अस्वीकार करे, वह अधर्म है. लेकिन, कुछ ऐसी भी चीजें हैं, जिसे वेद अस्वीकार करता है, जैसे- मंगलवार और नवरात्रि को लहसुन प्याज नहीं खा रहे हैं. लेकिन फिर घर में नॉनवेज बनना शुरू हो जाता है. ये कौन सा धर्म है. एक दिन धर्मात्मा बने रहते हैं, बाकि दूसरे दिन राक्षस की प्रवृति होती है. हम अपने धर्माचार्यों को बताए मार्ग पर चलेंगे तो उसे समझना आसान होगा.

मांसाहार का सेवन करनेवाले क्या सनातनी नहीं हैं?

मांसाहार का सेवन करनेवाले क्या सनातनी नहीं हैं?…इस सवाल के जवाब मेंदेवकीनंदन ने कहा कि सनातन तो सब है. एक एनिमल लवर्स हैं, जोकि जानवरों की रक्षा करते हैं, लेकिन वहीं कुछ लोग हैं, जोकि जानवरों को मारकर खा जाते हैं, लेकिन उन्हें कोई कुछ नहीं कहता. दुखद बात तो यह है कि वो एनिमल लवर भी कुछ नहीं बोलता. ईश्वर ने अलग-अलग जीवों के लिए खाने की अलग-अलग व्यवस्थाएं की हैं. शेर के लिए नॉनवेज की व्यवस्था की है. गाय के लिए खाने की अलग व्यवस्था की है. लेकिन इंसान सब खा रहा है.

एक अन्य सवाल, राजा दशरथ ने श्रवण कुमार के माता-पिता को मार दिया. राम हिरण का आखेट करने चले गए, तो क्या दशरथ जी, राम जी सनातनी थे…इस सवाल के जवाब में देवकीनंदन ने कहा किपहले के समय में शिकार खेलना राजाओं का स्वभाव था. दशरथ जी माता-पिता को मारने नहीं गए थे.

AKHAND BHARAT NEWS

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