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गड्ढे में पाटा गया राखड़ वर्षा की पानी से बहकर पहुंचा खेतों में ;

  • यहां-वहां डंप किए गए राख बनी ग्रामीणों के लिए मुसीबत
  • भालूसटका में आठ एकड़ खेत की फसल तबाह
  • किसान की गाढ़ी मेहनत पर फिर गया पानी

कोरबा: विद्युत उत्पादन करने वाली कंपनियों ने पहले तो राखड़ बांध बनाने के लिए किसानों की उपजाऊ खेतों को अधिग्रहित कर लिया। अब रही सही जमीन पर भी राखड़ की मार देखी जा रही है। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण शहर के निकट भालूसटका में देखा जा सकता है। यहां निर्मित कृषि मंडी के जमीन को समतल करने 180 ट्रक राखड़ डाला गया था। राखड़ के ऊपर मिट्टी की पतली लेयर डाल फिलिंग की औपचाकिता कर ली गई थी। इसकी पोल लगातार हुई वर्षा से खुल गई और राख बहकर किसानों की खेतों तक पहुंच गया। करीब एक दर्जन किसानों की आठ एकड़ धान की बोआई कार्य पर पानी फिर गया है।

राखड़ डैम भर गए, परिवहन के नाम पर यहां-वहां डंप

जिले के बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों आधा दर्जन से भी अधिक जगहों राखड़ बांध का निर्माण कराया है। लगभग सभी राखड़ बांध भर चुके हैं। बांध को खाली करने के लिए कंपनियां को ऐसे जगहों राखडंप करने की अनुमति दी गई जहां जमीन की समतलीकरण जरूर है। लंबी दूरी से बचने के लिए राखड़ परिवहन से जुड़े ठेकेदार अपशिष्ठ को यहां वहां डंप कर रहे हैं। स्थानीय ग्रामीणोें की ओर से शिकायत करने के बाद भी न तो जिला प्रशासन की ओर सुध ली जा रही है ना ही पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा कार्रवाई की जा रही है।

ग्रीष्म में सूखा राखड़ वायुमंडल को प्रदूषित कर रहा था। वर्षा शुरू होने के बाद राखड़ बांध से बहकर आने वाली पानी जलस्त्रोतों को प्रदूषित कर रहा रहा है। ढेंगुरनाला, कचांदीनाला आदि का पानी हसदेव नदी में समाहित हो रही है। राखड़ बांध का प्रदूषित पानी भी नदी में शामिल हो रहा है। नदी के साथ दर्री बांध में लगातार राखड़ का मढ समाहित हो रही है। इससे बांध की जल संग्रहण क्षमता भी कम हो रही है। राखड़ पानी से न केवल ऊपरी जल स्त्रोत बल्कि भूमिगत जल स्त्रोत भी प्रभावित हो रही हे ।

AKHAND BHARAT NEWS

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