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जे पी एन सदर अस्पताल सभागार में स्वास्थ कर्मियों का प्रशिक्षण।

प्रेस रिलीज: 01 जुलाई, 2024
जिला स्वास्थ्य समिति
जयप्रकाश नारायण अस्पताल परिसर, गया
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कवायद: कॉम्यूनिटी सर्विलांस से फ्लोरिसिस रोगियों की होगी पहचान

जिला के 12 प्रखंडों के 247 वार्ड हैं फ्लोरिसिस से हैं प्रभावित

जेपीएन सदर अस्पताल सभागार में स्वास्थ्य कर्मियों का प्रशिक्षण

फ्लोराइड के कारण दांत व शरीर की हड्डी हो जाती है विकृत

काली चाय, काला नमक, सुपारी, गुटखा और फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट से परहेज

पानी में फ्लोराइड की जांच हेतु टॉल फ्री नंबर है 18001231121

गया, 01 जुलाई: नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रीवेंशन एंड कंट्रोल आॅफ फ्लोरिसिस के तहत कॉ​म्युनिटी सर्विलांस के माध्यम से आमजन में फ्लोरिसिस की पहचान आशा स्वास्थ्यकर्मी करेंगी। वहीं स्कूलों में जाकर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के चिकित्सक बच्चों में फ्लोरिसिस होने की पहचान करेंगे। इसके लिए सोमवार को जयप्रकाश नारायण अस्पताल सभागार में सिविल सर्जन डॉ रंजन कुमार सिंह की अध्यक्षता में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों, आरबीएसके चिकित्सा पदाधिकारियों, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक तथा आशा फैसिलिटेटर के प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस प्रशिक्षण में अलग—अलग बैच में पहले दिन आमस, इमामगंज, मानपुर, टिकारी, वजीरगंज और बोधगया प्रखंड के स्वास्थ्य पदाधिकारियों तथा कर्मियों का प्रशिक्षण हुआ। दूसरे दिन मंगलवार को डु​मरिया, खिजरसराय, नीमचक बथानी, बांकेबाजार, नगर प्रखंड तथा बाराचट्टी प्रखंड से प्रशिक्षु कार्यक्रम में शामिल होंगे। बिहार में फ्लोरिसिस की समस्या तथा इसके निदान के लिए यूनिसेफ तथा पटना स्थित अनुग्रह नारायण कॉलेज के सेंटर फॉर फ्लोरिसिस रिसर्च सेंटर द्वारा संयुक्त रूप से कार्य किया जा रहा है। इस मौके पर गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ एमई हक, रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर प्रोफेसर बिहारी सिंह, आइडीएसपी कंस्लटेंट तथा ​दंत चिकित्सक डॉ प्रियंका तथा यूनिसेफ से प्रशांत चंद्रा ने फ्लोरिसिस जैसे रोग की पहचान तथा इसके उपचार पर जरूरी जानकारी दी।

जिला के 247 वार्ड फ्लोरिसिस प्रभावित:
स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण देते हुए गैर संचारी रोग पदाधिकारी ने बताया कि फ्लोराइड मानव शरीर में प्राकृतिक तरीकों जैसे पानी, फसल तथा बाजार में तैयार खाद्य पदार्थों से आता है। औद्योगिक उत्सर्जन के माध्यम से भी फ्लोराइड शरीर तक पहुंचते हैं। बिहार के ग्यारह जिलों में फ्लोरिसिस है जिसमें एक गया शामिल है। गया जिला के 12 प्रखंडों के 247 वार्ड फ्लोरिसिस प्रभावित वार्ड हैं. बताया कि पानी में फ्लोराइड नामक तत्व की अत्यधिक मात्रा के कारण दांत के अलावा शरीर की हड्डी का आकार विकृत हो जाता है। व्यक्ति शारीरिक रूप से अपंग हो जाता है। दांतों में फ्लोरिसिस के कारण दांत पीले हो जाते हैं.

फ्लोरि​सिस की यह है पहचान:
दांतों में अत्यधिक पीलापन
हाथ और पैर का आगे या पीछे की ओर मुड़ जाना
पांव का बाहर या अंदर की ओर धनुषाकार हो जाना
घुटनों के आसपास सूजन
झुकने या बैठने में परेशानी
कंधे, हाथ और पैर के जोडों में दर्द
जवानी में ही बुढ़ापे का लक्षण नजर आना
पेट भारी रहना

हरी पत्तेदार सब्जी का सेवन फायदेमंद:
प्रोफेसर बिहार सिंह ने बताया कि फ्लोरिसिस से बचाव के लिए दूध, दही, गुड़, चकोरे और मुनगे की पत्तियां, हरी पत्तेदार सब्जी, आंवला, अमरूद,पपीता, गाजर, टमाटर, नींबू, संतरा, का सेवन अधिक करें। पीने के पानी की जांच अवश्य करायें। पानी में फ्लोराइड की जांच के लिए टॉल फ्री नंबर 18001231121 या अपने जिला के कार्यपालक अभियंता, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण प्रमंडल से संपर्क कर जानकारी ले सकते हैं. फ्लोरिसिस रोग से संबंधित जानकारी के लिए स्वास्थ्य विभाग, बिहार सरकार का टॉल फ्री नंबर 104 पर संपर्क कर सकते है।। फ्लोराइड की रोकथाम के लिए फ्लोराइड संदूषित पेयजल नहीं पियें। काली चाय, काला नमक, सुपारी, गुटखा और फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट से परहेज जरूरी है।

त्रिलोकी नाथ डिस्ट्रिक्ट डिवीजन हेड गया

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