
श्री गंगानगर राजस्थान के ग्राम पंचायत पक्की के विकास अधिकारी श्री परदीप शर्मा ने फर्जी तरीके से विवाह के परमान पत्र जारी कर दिए ।एक वर्ष में 42 फर्जी प्रमाण पत्र जारी किए गए।जब इसकी जांच शुरू हुई तो खुद को निर्दोष साबित करने के लिए ई मित्र संचालक पर मुकदमा दर्ज करवा कर खुद को निर्दोष साबित करना चाहते है।जबकि खुद इस मामले में संलिप्त है। हैरानी जनक बात ये है की एक विकास अधिकारी की फर्जी ओ टी पी लेना बात हजम होने वाली नही साबित हो रही।इस मामले में विकाश अधिकारी के एक भाई जो की कोई अधिवक्ता है उसने भी 3 विवाह पंजीकन करवा रखे है ग्राम पंचायत पक्की से।कुल मिलाकर खुद की नौकरी बचाना चाहता है विकास अधिकारी और दांव खेल रहा है ई मित्र संचालक पर।हमारे गुप्त ऑपरेशन से साबित होता है की विकाश अधिकारी खुद कह रहा है की यदि ई मित्र अपने ऊपर सारा भार ले लेता है तो मेरा बुढ़ापा आसानी से निकल जाए गा । विकास अधिकारी का कहना है की हम पंचायत का सारा कार्य गुरप्रीत से करवाते थे जबकि गुरप्रीत कोई सरकारी कर्मचारी नही है पंचायत के पास अपना खुद का एक एल डी सी उपलब्द है।और क्लेरिकल काम के लिए एक पंचायत सहायक भी लगा हुआ है।दो दो पंचायती कर्मचारी होने के बावजूद कहा पर जरूरत थी ई मित्र का सहयोग लेने की ।इस परकार एक नही कई परमान पत्र जारी हुए है जिस में विकास अधिकारी की मिली भगत सिद्ध होती है।
ई मित्र संचालक का अनुसार विकास अधिकारी हमे कोई भी पासवर्ड नही देता था कोई भी करिए के बदले हमे 200 या 400 रू देता था विवाह प्रमाण पत्र के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है ।इतना जरूर जनता हुए की मेरा काम सिर्फ फॉर्म अप्लाई करना था।उसका सत्यापन करना एल डी सी या विकास अधिकारी का काम होता है।हमारा नही।और जहा तक मैं जानता हूं ये काम अधिकारी के सहयोग से ही संभव है क्युकी एक वर्ष में 42 प्रमाण पत्र जारी होना उनकी फीस भी विकास अधिकारी जमा करवाता है तो।क्या अधिकारी को पता नहीं होता के ग्राम में कितनी शादी हुई है।ये काम अधिकारी की मिली भगत से ही हुए है।