
फर्रुखाबाद, संवाददाता: शहर के रेलवे रोड स्थित महाभारत कालीन पांडवेश्वरनाथ शिवालय लोगों की आस्था का केंद्र है। कहा जाता है कि पांडवों ने यहां शिवलिंग की स्थापना कर पूजा-अर्चना की थी जो बाद में पांडवेश्वरनाथ कहलाए। महाशिवरात्रि के पर्व पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन-पूजन करने पहुंचे।
शिवभक्तों की आस्था के केंद्र महाभारतकालीन पांडवेश्वर नाथ शिवालय के बारे में मान्यता है कि धर्मराज युधिष्ठिर ने द्रोपदी स्वयंवर से पहले इसे स्थापित किया था। उनके पुरोहित धौम्य ऋषि ने शिवलिंग की स्थापना कराई थी तथा रुद्राभिषेक आदि के बाद पांडवों को स्वयंवर में भेजा था। शिवभक्ति के फलस्वरूप ही अर्जुन को द्रोपदी वरण हुईं।
कहते हैं कि अज्ञातवास के समय पांडवों ने शिवालय के आस-पास ही कुछ समय छुपकर बिताया था। पहले यहां बाग के बीच छोटी सी मठिया थी जो समय के साथ-साथ भव्य रूप लेती गई। अब यहां विशाल मंदिर है। मंदिर में महाशिवरात्रि के पर्व पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी । महिला व पुरुष श्रद्धालुओं की अलग-अलग कतारें लगवाकर दर्शन कराने की व्यवस्था की गयी। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए। पुलिस बल के साथ सीसी टी बी कैमरों से निगरानी की जा रही।पांडवेश्वर नाथ शिवालय परिसर में ज्योतिर्लिंग मठ की स्थापना हुई। मठ में भगवान शिव के सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओमकारेश्वर, त्रयम्बकेश्वर, भीमेश्वर, विश्वेश्वर, केदारनाथ, वैद्यनाथ, नागेश्वर, सेतुबंध रामेश्वर, घृश्मेश्वर रूप के दिव्य दर्शन होते हैं। यहां भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश व कार्तिकेय की मूर्तियां स्थापित हैं। भगवान शिव के दर्शन कर भक्त दूध, बेलपत्र, धतूरा, फल, फूल आदि चढ़ाकर पूजा अर्चना करते हैं।