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नाबालिग बच्चे को गोद लेने वाले माता-पिता को अवकाश नही देना मानवीय अधिकारों का उल्लंघन है व अपमानजनक- महिला आयोग

नाबालिग बच्चे को गोद लेने वाले माता-पिता को अवकाश नही देना मानवीय अधिकारों का उल्लंघन है व अपमानजनक- महिला आयोग

6 लाख रू. एकमुश्त भरण-पोषण पर दम्पती आपसी सहमति से तलाक के लिए तैयार।

दो प्रकरण में आयोग ने अनावेदक के खिलाफ एफ.आई.आर दर्ज करने का निर्देश दिया।

महासमुन्द/रायपुर /20 फरवरी 2024 / छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य डॉ. अर्चना उपाध्याय, ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 237 वीं सुनवाई हुई। रायपुर जिले में कुल 113 वीं जनसुनवाई।

आज के प्रकरण में आवेदिका ने 2 दिन की बच्ची को वैधानिक दत्तक ग्रहण के माध्यम से गोद लिया है जो अब 3 माह की हो चुकी है। बच्चे के पालन-पोषण व लगाव के लिए वैधानिक रूप से अवकाश की पात्रता है। लेकिन संस्थान द्वारा नियमों का हवाला देकर छुट्टी के लिए टालमटोल किया जा रहा है। नाबालिक बच्चे को गोद लेने वाले माता- पिता को अवकाश नही देना मानवीय अधिकारों का उल्लंघन है। इस प्रकरण के निराकरण के लिए छत्तीसगढ़ राज्य बाल आयोग की उपस्थिति सुनिश्चित कराये जाने की व्यवस्था रखी गई है ताकि प्रकरण का निराकरण शीघ्रता से किया जा सके।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदक (पति) के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराया था। आवेदिका की शिकायत थी कि अनावेदक साथ में नहीं रखता है और मारपीट कर भगा देता है। उसका एक वर्ष का पुत्र है। आयोग की समझाईश पर अनावेदक (पति) अपनी पत्नी को साथ ले जाने के लिए तैयार हुआ। इस प्रकरण में प्रति माह काउंसलर द्वारा जाकर निगरानी 1 वर्ष तक की जायेगी। काउंसलर द्वारा आवश्यकतानुसार इकरारनामा तैयार किया जा सकता है। अतः इस आदेश के साथ प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।

अन्य प्रकरण में दोनों पक्ष उपस्थित हुए. दोनो पक्ष आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए तैयार हुए। अनावेदक आवेदिका को एकमुश्त भरण-पोषण राशि 6 लाख रू. देगा। दी जाने वाली राशि और आवेदिका के समान वापसी हेतु एक इकरारनामा तैयार किया जायेगा व सम्पूर्ण राशि 3 किश्तों में दिया जायेगा।

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दो अन्य प्रकरण में दोनों पक्षों के मध्य काउंसलिंग कराया गया। महिला आयोग के प्रकरण से बचने के लिए अनावेदक ने कोर्ट में प्रकरण दर्ज कराया और हर बार सुलहनामा में अनावेदक उलझाने का प्रयास करता है। आयोग ने यह निर्देश दिया कि आवेदिका अपने निवास स्थान के थाना क्षेत्र में अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ एफ.आई.आर दर्ज करा सकती है। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।

अन्य प्रकरण में दोनो पक्षों के बीच काउंसलिंग किया गया। दोनो की तीन बेटियां है। तीनों बेटियों से काउंसलर काउंसलिंग कर दोनो पक्षों के बीच मध्यस्तता पर विचार करेगी।

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