
कैंची धाम देवभूमि उत्तराखंड के नैनीताल जिले मे स्थित है। जो अल्मोड़ा- रानीखेत राष्ट्रीय राजमार्ग से लगभग 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक दिव्य एवं रमणीक धाम है। यहां पर सड़क कैंची की तरह दो मोड़ों से होकर आगे बढ़ती है। इसलिए इस जगह का नाम कैंची धाम पड़ा। कहा जाता है की 1964 में उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के है एक गांव अकबरपुर से लक्ष्मी नारायण शर्मा नामक एक युवक ने यहां आकर रहना शुरू किया था। क्योंकि यहां आने से पहले उस युवक ने फर्रुखाबाद के गांव नीम करौरी में कठिन तपस्या की थी। इसी कारण वे बाबा नीम करोली कहलाने लगे। महाराज जी की गणना 20 वी शताब्दी के सबसे महान संतो में होती थी। जून माह के वार्षिक भंडारे के दौरान एक लाख से अधिक लोगों को खाना खिलाया जाता है। आश्रम विभिन्न मंदिरो से घिरा हुआ है। जिसमें एक हनुमान मंदिर और कैंची मंदिर शामिल है। जिसमें कई विदेशी महाराज जी के साथ समय बिताने के लिए आते हैं। एक पवित्र गुफा जहां बाबा नीम करोली की प्रार्थना की जाती है। आश्रम की स्थापना 1962 में महाराज नीम करोली बाबा ने की थी। और तब से इसका रख रखाव किया जा रहा है। मंदिर चारों ओर ऊंचे- ऊंचे पहाड़ों से घिरा हुआ है। और मंदिर में हनुमान जी के अलावा भगवान राम एवं सीता माता तथा देवी दुर्गा के छोटे-छोटे मंदिर बने हुए हैं। कैंची धाम मुख्य रूप से बाबा नीम करौली और हनुमान जी की महिमा के लिए प्रसिद्ध है। कौन थे नीम करोली बाबा ? – नीम करोली बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर के रहने वाले एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 11 वर्ष की उम्र में ही उनका विवाह एक ब्राह्मण कन्या के साथ कर दिया गया था। परंतु शादी के कुछ समय बाद ही उन्होंने अपना घर छोड़ दिया। और साधु बन गए। माना जाता है कि उन्हें 17 वर्ष की अवस्था में ज्ञान की प्राप्ति हुई। घर छोड़ने के 10 वर्ष तक किसी को कोई भी जानकारी नहीं हुई। 10 वर्ष के बाद उनके पिताजी को उनके बारे में किसी ने जानकारी दी। इसके बाद उनके पिताजी ने घर लौटने एवं वैवाहिक जीवन जीने के लिए आदेश दिया। वह तुरंत ही घर लौट आए। इसके बाद उनके दो पुत्र एवं एक पुत्री हुई। गृहस्थ जीवन जीने के समय वह अपनी आपको सामाजिक कार्यों में व्यस्त रखा। 1962 के दौरान नीम करौली बाबा ने कैंची गांव में एक चबूतरा बनवाया। जहां पर उनके समय के महान संत प्रेमी बाबा और सोमवारी बाबा ने हवन किया। नीम करोली बाबा हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त थे। उन्होंने अपने जीवन में लगभग 108 हनुमान मंदिर बनवाये थे। वर्तमान में उनके हिंदुस्तान समेत अमेरिका के टेक्साल में भी मंदिर है। बाबा ने अपनी समाधी के लिए वृंदावन की पावन भूमि को चुना। उनकी मृत्यु 10 सितंबर 1973 को हुई। उनकी याद में आश्रम और उनका मंदिर बनाया गया। और एक प्रतिमा भी स्थापित की गई। पानी घी में बदल गया – कहा जाता है की कैंची धाम में भंडारे के दौरान घी की कमी पड़ गई थी। बाबा ने कहा नीचे बहती नदी से कनस्तर मे पानी भर कर लाओ। उसे प्रसाद बनाने के लिए प्रयोग किया गया तो पानी घी में बदल गया।
विदेश में भी हैं बाबा के भक्त – नीम करोली बाबा देश में ही नहीं विदेश में भी अपने चमत्कार के लिए जाने जाते हैं। लोकप्रिय लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने “मिरेकल आप लव” नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है। सिर्फ यही नहीं हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट, एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग सहित कई अन्य विदेशी हस्तियों बाबा के भक्त हैं। एप्पल की नींव रखने के पहले स्टीव जॉब्स कैंची धाम आए थे। यही उनको कुछ अलग करने की प्रेरणा मिली।
जिस वक्त फेसबुक फाउंडर मार्क जुकरबर्ग फेसबुक को लेकर कुछ तय नहीं कर पा रहे थे तो स्टीव जॉब्स ने ही उन्हें कैंची धाम जाने की सलाह दी थी।