
पालकोट
_पालकोट // पालकोट (पंपापुर) स्थित ऋष्यमुक पर्वत शिखर की चोटी पर शुक्रवार से ब्रम्हलीन बाबा कर्मयोग शिव संभव जी महाराज उदासीन-भौतिक आध्यात्मिक विद्या केंन्द्र में आश्रम समिति पालकोट के तत्ववाधान में प्राचीन मां पंपा भवानी का 11 दिवसीय श्री श्री महारुद्र सहस्त्र चंडी हवनात्मक महायज्ञ प्रारंभ किया जायेगा।इस अवसर पर शुक्रवार को सुबह 9 बजे राजा मैदान से 551 महिलाओं और युवतियों द्वारा भव्य कलश शोभायात्रा निकाली जायेगी।महायज्ञ को लेकर आश्रम समिति द्वारा सारी तैयारियां की जा चुकी है। यज्ञाचार्य सतीश चंन्द्र शास्त्री,उपाचार्य संतेश्वर पांडेय,वैदिक दीनानाथ मिश्रा सोनू पंडा द्वारा विधिवत वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ श्री श्री महारुद्र सहस्त्र चंडी हवनात्मक महायज्ञ का समस्त कार्यों का निष्पादन किया जायेगा।इसके साथ-साथ इस महायज्ञ में सम्मिलित होने के लिये झारखंड सहित विभिन्न राज्यों के ऋषि महर्षि एवं साधु-संतों का आगमन की योजना है।ऋष्यमुक पर्वत शिखर की चोटी में महायज्ञ को लेकर पालकोट सहित झारखंड के विभिन्न जिलों से लोगों का भारी संख्या में आवागमन कई दिनों से प्रारंभ हो गया है।शुक्रवार से आरंभ होने वाला इस 11 दिवसीय महायज्ञ को लेकर लोगों में उत्साह और उमंग का माहौल है।पुरा माहौल भक्तिमय बना हुआ है।जानकारी के अनुसार इस वर्ष ब्रम्हलीन बाबा कर्मयोग शिव संभव जी महाराज उदासीन-भौतिक आध्यात्मिक विद्या केंन्द्र आश्रम का 87 वां महायज्ञ होगा।हालांकी ब्रम्हलीन बाबा कर्मयोग शिव संभव जी महाराज उदासीन अब इस संसार में नहीं हैं।फिर भी पालकोट में उनके उर्जावान भक्त श्रद्धा-भक्ति के साथ आज भी उनके इस संकल्प को श्री श्री महारुद्र सहस्त्र चंडी हवनात्मक महायज्ञ का आयोजन कर पूरा करने प्रयास में हैं।जानकारी के अनुसार रामायण में वर्णित किया गया है।पंपापुर ऋष्यमुक पर्वत शिखर का नाम।और ब्रम्हलीन बाबा कर्मयोग शिव संभव जी महाराज उदासीन का पालकोट आगमन के बाद 10 अक्टूबर 1992 को ऋष्यमुक पर्वत शिखर की चोटी पर भौतिक आध्यात्मिक विद्या केंन्द्र आश्रम की स्थापना की गयी है।आश्रम के ठीक बगल में प्राचीन मां पंपा भवानी का दिव्य मंदिर है।साथ ही आश्रम के बगल में ब्रम्हलीन बाबा कर्मयोग शिव संभव जी महाराज उदासीन का समाधी स्थल भी है।