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विजयीपुर के मांडर घाट में चल रहे श्रीमद्भगवत कथा के पंचम दिवस

विजयीपुर के मांडर घाट में चल रहे श्रीमद्भगवत कथा के पंचम दिवस

अयोध्या से पधारे कथा व्यास आचार्य पं देवानंद दुबे जी के द्वारा कथा के मध्य कथा के पंचम दिवस मे बताया की जब जब धर्म की हानि होती है तब प्रभु की अवतार होता है उन्होंने कहा की जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, दुष्टों का प्रभाव बढ़ने लगता है, तब सज्जनों की पीड़ा हरने के लिए प्रभु का अवतार होता है।

जब -जब होई धरम की हानी,बाढ़हि असुर अधम अभिमानी! तब-तब धरि प्रभु विविध शरीरा, हरहि दयानिधि सज्जन पीरा ||
उन्होंने ने बताया की लोग यह भी जानना चाहते हैं
भगवान श्री कृष्ण का जन्म कैसे हुआ?
भगवान कृष्ण की पूरी कहानी क्या है?
जन्माष्टमी का इतिहास क्या है?
कृष्ण की उत्पत्ति कैसे हुई?
कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था। वे माता देवकी और वासुदेव की ८वीं संतान थे। श्रीमद भागवत के वर्णन करते हुए व्यास जी ने कहा की द्वापरयुग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज करते थे। उनका एक आततायी पुत्र कंस था और उनकी एक बहन देवकी थी।

एक समय कंस अपनी बहन देवकी को उसकी ससुराल पहुंचाने जा रहा था।

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रास्ते में आकाशवाणी हुई- ‘हे कंस, जिस देवकी को तू बड़े प्रेम से ले जा रहा है, उसी में तेरा काल बसता है। इसी के गर्भ से उत्पन्न आठवां बालक तेरा वध करेगा।’ यह सुनकर कंस वसुदेव को मारने के लिए उद्यत हुआ।

तब देवकी ने उससे विनयपूर्वक कहा- ‘मेरे गर्भ से जो संतान होगी, उसे मैं तुम्हारे सामने ला दूंगी। कथा मे उपस्थित रहे विजय मिश्र ,अजय मिश्र, आचार्य मनीष , आचार्य दीपक तिवारी पं आदित्य शास्त्री जी और भारी संख्या मे लोग उपस्थित रहे और कथा सुने!

अयोध्या से पधारे कथा व्यास आचार्य पं देवानंद दुबे जी के द्वारा कथा के मध्य कथा के पंचम दिवस मे बताया की जब जब धर्म की हानि होती है तब प्रभु की अवतार होता है उन्होंने कहा की जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, दुष्टों का प्रभाव बढ़ने लगता है, तब सज्जनों की पीड़ा हरने के लिए प्रभु का अवतार होता है।

जब -जब होई धरम की हानी,बाढ़हि असुर अधम अभिमानी! तब-तब धरि प्रभु विविध शरीरा, हरहि दयानिधि सज्जन पीरा ||
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कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था। वे माता देवकी और वासुदेव की ८वीं संतान थे। श्रीमद भागवत के वर्णन करते हुए व्यास जी ने कहा की द्वापरयुग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज करते थे। उनका एक आततायी पुत्र कंस था और उनकी एक बहन देवकी थी।

एक समय कंस अपनी बहन देवकी को उसकी ससुराल पहुंचाने जा रहा था।

रास्ते में आकाशवाणी हुई- ‘हे कंस, जिस देवकी को तू बड़े प्रेम से ले जा रहा है, उसी में तेरा काल बसता है। इसी के गर्भ से उत्पन्न आठवां बालक तेरा वध करेगा।’ यह सुनकर कंस वसुदेव को मारने के लिए उद्यत हुआ।

तब देवकी ने उससे विनयपूर्वक कहा- ‘मेरे गर्भ से जो संतान होगी, उसे मैं तुम्हारे सामने ला दूंगी। कथा मे उपस्थित रहे विजय मिश्र ,अजय मिश्र, आचार्य मनीष , आचार्य दीपक तिवारी पं आदित्य शास्त्री जी और भारी संख्या मे लोग उपस्थित रहे और कथा सुने!

AKHAND BHARAT NEWS

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