सुमिता शर्मा चंद्रपुर महाराष्ट्र:
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने विद्यार्थियों को अच्छा माहौल प्रदान करने के लिए नियमों में कई बदलाव किए है । विद्यार्थियों की गुणवत्ता पर जोर दिया गया है।
विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का बोर्ड का लक्ष्य है । लेकिन देखा जा रहा है अनेक स्कूल अपनी मनमानी कर रहे है । अधिकांक्ष निजी सीबीएसई स्कूलों में 50 से लेकर 70 बच्चों को बिठाया जा रहा है ।इसके चलते सीबीएसई ने हर कक्षा में छात्रों की संख्या को लेकर नियम सख्त कर सभी सीबीएसई स्कूलों में हर कक्षा में 40 बच्चों को ही प्रवेश देने का सख्त नियम बनाया है ।
40 से अधिक बच्चे होने पर कक्षा बढ़ने के लिए अनुमति लेनी होगी । CBSE ne 2 saal pahle teen सत्रों के लिए अपवाद के तौर पर तबादले या अन्य विशेष परिस्थितियों में 45 बच्चों को प्रवेश देने की छूट दी थी लेकिन इस्के लिये बकायदा पोर्टल पर आवेदन कर बच्चों के एडमिशन की अनुमति लेनी थी । CBSE ne संबद्धता देने के लिए मापदंड तय किए है । इसके लिए समय समय पर जारी किए जाने वाले गाइडलाइंस की जानकारी भी स्कूलों को दी जाती है । CBSE ने स्पष्ट कहा है की संबद्धता लेने और उसे नियमित करने के लिए सभी नियमों और शर्तों का अनिवार्य रूप से पालन करना होगा । इधर kg के स्तर पर 20:01, प्राइमरी स्तर पर 30:1, और मिडिल स्कूल के स्तर पर 30:1 का छात्र शिक्षक अनुपात निर्धारित किया गया है ।वहीं हर स्तर पर वर्ष 2025 तक 20:1 के अनुपात का लक्ष्य तय किया गया है । सीबीएसई के संबद्धता नियम 2018 के नियम 4.8 के अनुसार स्कूल प्रत्येक कक्षा में सिर्फ 40 बच्चों को ही प्रवेश दे सकते है इस नियम के अनुसार प्रत्येक छात्र के लिए फर्श पर एक वर्ग मीटर जगह होना जरूरी है । इसे लेकर cbse ने कई बार सर्कुलर भी जारी किए है लेकिन अधिकाक्ष स्कूल इस नियम को अनदेखी करते है।