श्री क्षेत्र शुक्रताल….(अनिलकुमार पालीवाल द्वारा)
मानव जीवन में सदैव कहा जाता है – “खाली हाथ आया है, और खाली हाथ जाना है”। यह सर्वथा असत्य है। वास्तव में मनुष्य खाली हाथ आता अवश्य है, पर खाली हाथ नहीं जाता। वह अपने साथ जीवन की अच्छी–बुरी व्यवहारिक झलकियाँ लेकर जाता है। इसलिए आवश्यक है कि हम भागवत रूपी बुद्धि-गंगा और नामस्मरण के माध्यम से सदैव उत्तम आचरण करें, सेवा–त्याग की भावना रखें और अपने जीवन को सँवारें। यही जीवन धन प्रत्येक को अपने साथ लेकर जाना चाहिए। ऐसा विवेचन सुप्रसिद्ध भागवत कथावाचक पंडित श्री हरिनारायण वैष्णव जी ने किया।
श्री शुक्रताल की पुण्यभूमि पर आज से माँ आशापूर्णा भक्त समूह द्वारा तथा सकल पालीवाल महाजन समाज के सहयोग से पंडित श्री वैष्णव जी की श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ हुआ। यह कथा दिनांक 13 सितंबर को संपन्न होगी।
कथा के निरूपण में पंडित वैष्णव जी ने कहा कि यह कथा जीवन संजीवनी है और सफल जीवन जीने की प्रेरणा देती है।
कथा आरंभ से पूर्व पंडित वैष्णव जी सहित श्रीमद् भागवत ग्रंथ की शोभायात्रा निकाली गई। यह यात्रा शुक्रदेव आश्रम से प्रारंभ होकर मुख्य मार्गों से होती हुई शिवधाम तक पहुँची। मार्ग में भक्त महिलाएँ और श्रद्धालु बंधु नृत्य करते, वाद्ययंत्र बजाते आनंद ले रहे थे। इस कथा के मुख्य यजमान सोयत के श्री झाड़ोत परिवार हैं, जिनके परिवार की ओर से आरती सम्पन्न की गयी l
श्रीमद् भागवत कथा का निरूपण करते हुए पंडित हरिनारायण वैष्णव…
दूसरे छायाचित्र में शोभायात्रा में सम्मिलित पालीपुत्र और भगिनियाँ…
शोभायात्रा में रखे गए ड्रेस कोड ने शुक्रतालवासियों का विशेष ध्यान आकर्षित किया।