भाद्रपद शुक्ला द्वितीया पर होगा विमलकुण्ड में शाही स्नान

भाद्रपद शुक्ला द्वितीया पर होगा विमलकुण्ड में शाही स्नान

रिपोर्टर मनमोहन गुप्ता कामां 9783029649

डीग जिले के कस्वा कामां कामवन में भाद्रपद शुक्ला द्वितीया सोमवार 25 अगस्त को प्रातः 4 बजे हजारों नागा व अन्य साधु तीर्थराज विमलकुण्ड में स्नान करेंगे जो एक दिन पूर्व शाम को आकर अपना प्रवास करेंगे।
इस दिन सदियों से प्रतिवर्ष काठिया बाबा की वन यात्रा का कामवन में प्रवेश होता है जिसमें हजारों नागा साधु आते हैं तथा तीर्थराज विमल कुण्ड में भाद्रपद शुक्ला द्वितीया को प्रात: शाही स्नान करते हैं और इसी के साथ कामवन के प्रसिद्ध भोजन थाली मेले का आगाज होता है ।
मंदिर श्री विमल बिहारी जी के सेवाअधिकारी संजय लवानिया ने विमलकुण्ड माहात्म्य सुनाते हुए बताया कि तीर्थराज विमलकुण्ड करोड़ों लोगों की आस्था का केन्द्र व कामवन धाम का हृदय माना जाता है। 5500 वर्ष पूर्व इसका प्राकट्य विमल कन्याओं के प्रेमाश्रुओ से हुआ। अनेकों पुराण इसकी गाथाओं से भरे पड़े हैं। विष्णु पुराण ,पद्म पुराण ,नारद पुराण ,आदिवाराह पुराण ,ब्रह्मवैवर्त पुराण ,महाभारत ,गर्ग संहिता आदि में इसका विस्तार से माहात्म्य वर्णित है।
नारद पुराण के अनुसार कामवन में स्थित विमलकुण्ड श्रीहरिका उत्तम निवास स्थान है । यह परम पुण्य तीर्थ पुण्यात्मा पुरुषों से सेवित है और दर्शन मात्र से ही मोक्ष देने वाला है । वह अत्यंत दुर्लभ है । देवता लोग भी इसका दर्शन करने की अभिलाषा रखते हैं । यहां के दर्शन व लीलाओं का दर्शन देवतागण तपस्या से भी समर्थ नहीं हो पाते । जो यहां के दर्शन करता है उसे तीन लोकों में कुछ भी दुर्लभ नहीं ॥
वाराह पुराण के अनुसार कामवन के दर्शन करने से नरक नहीं भोगना पड़ता ।
गर्ग संहिता में इसका विस्तार से वर्णन मिलता है ।
आज के दिन स्नान करने का परम माहात्म्य है । आज के दिन अगर कोई पक्षी भी इसके ऊपर से निकल जाये तो उसका भी मोक्ष हो जाता है ।
गर्ग संहिता के अनुसार सिंधु देश के राजा विमल जिनके सोलह हजार एक सौ कन्यायें थी जिनका विवाह राजा विमल ने मुनि याज्ञवल्क्य की आज्ञा से भगवान श्री कृष्ण से किया। श्रीकृष्ण को राजा ने समस्त राज ,धन दौलत ,खजाना तथा स्वयं को भी कृष्णार्पण कर दिया। भगवान प्रसन्न हो गये तथा राजा विमल को सारुप्य देकर छः हजार रानियों सहित गोलोक धाम भेज दिया। समस्त कन्याओं को साथ लेकर कामवन पधारे तथा यहां वन की सुंदरता को देखकर महारास किया सोलह हजार एक सौ कृष्ण व उतनी ही राजा विमल की कन्याएं। महारास में आनंदित होकर उन कन्याओं के नेत्रों से जो प्रेम से अश्रु निकलकर इस धरा पर गिरे उनसे विमल कुण्ड का प्राकट्य हुआ।पौराणिक मान्यतानुसार ऐसा माना जाता है जब एक बार मैया यशोदा और नंद बाबा ने चार धाम यात्रा की इच्छा प्रकट की तो भगवान श्री कृष्ण ने उनके दर्शनों के लिए सभी तीर्थों को ब्रज में ही बुला लिया था तथा उनको सारे तीर्थ व चारों धाम कामवन में ही करवाये। जिस दिन यह स्नान हुआ तथा विमलकुण्ड को तीर्थराज की उपाधि से अलंकृत किया वह आज ही का दिन था ॥

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